अटल की सभा में मेटल डिटेक्टर की बीप का खौफ
नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष रहे उमेश पटियात ने कहा कि वाजपेयी के साथ उनकी कई यादें हैं। दो बार उनके साथ रहने का अवसर मिला। एक बार भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन और दूसरी बार 11वीं लोकसभा चुनाव के पहले। उन्होंने बताया कि कुशलबाग मैदान में आमसभा रखी थी। मैदान में प्रवेश के दरवाजों पर एसपीजी ने मेटल डिटेक्टर लगाए थे। पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता तैयारियों में थे। वे मैदान में जमा हो गए, लेकिन बहुत कम संख्या थी। वहीं गांवों से आए लोग मैदान के बाहरी हिस्से में ही घूम रहे थे। इसका कारण मेटल डिटेक्टर से निकलने वाली बीप की आवाज थी। बाद में जब मंच से मेटल डिटेक्टर हटाने की घोषणा कराई गई, तब मैदान में बड़ी संख्या में लोग आए।
नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष रहे उमेश पटियात ने कहा कि वाजपेयी के साथ उनकी कई यादें हैं। दो बार उनके साथ रहने का अवसर मिला। एक बार भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन और दूसरी बार 11वीं लोकसभा चुनाव के पहले। उन्होंने बताया कि कुशलबाग मैदान में आमसभा रखी थी। मैदान में प्रवेश के दरवाजों पर एसपीजी ने मेटल डिटेक्टर लगाए थे। पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता तैयारियों में थे। वे मैदान में जमा हो गए, लेकिन बहुत कम संख्या थी। वहीं गांवों से आए लोग मैदान के बाहरी हिस्से में ही घूम रहे थे। इसका कारण मेटल डिटेक्टर से निकलने वाली बीप की आवाज थी। बाद में जब मंच से मेटल डिटेक्टर हटाने की घोषणा कराई गई, तब मैदान में बड़ी संख्या में लोग आए।
हाथ तो मिलाते जाओ, कहकर जताया अपनत्व कि यादों में बस गया
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अपनी स्मृतियों को ताजा करते हुए घाटोल विधायक नवनीतलाल निनामा ने कहा कि जब वे बांसवाड़ा आए तो उन्हें केसरिया साफा पहनाने का सौभाग्य मिला। उन्हें लकड़ी से बने तीर-कमान भेंट किए। वे बताते हैं कि तीर कमान भेंट करने के बाद जब वापस मुड़े तो उन्हें वाजपेयी ने बुलाते हुए कहा कि हाथ तो मिलाते जाओ। इसके बाद उन्होंने अपनत्व से हाथ मिलाया।
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अपनी स्मृतियों को ताजा करते हुए घाटोल विधायक नवनीतलाल निनामा ने कहा कि जब वे बांसवाड़ा आए तो उन्हें केसरिया साफा पहनाने का सौभाग्य मिला। उन्हें लकड़ी से बने तीर-कमान भेंट किए। वे बताते हैं कि तीर कमान भेंट करने के बाद जब वापस मुड़े तो उन्हें वाजपेयी ने बुलाते हुए कहा कि हाथ तो मिलाते जाओ। इसके बाद उन्होंने अपनत्व से हाथ मिलाया।
अपनी ही कविता सुनकर गद्गद् हुए अटल बिहारी
पूर्व राज्यमंत्री भवानी जोशी ने कहा कि बांसवाड़ा यात्रा के दौरान माही रेस्ट हाउस में वाजपेयी से भेंट हुई थी। उन्हें कंठस्थ की गई उन्हीं की कविता भी सुनाई थी। तब वे गद् गद् हो गए। बाद में कई भाषणों में उनकी कविता का उल्लेख किया।
पूर्व राज्यमंत्री भवानी जोशी ने कहा कि बांसवाड़ा यात्रा के दौरान माही रेस्ट हाउस में वाजपेयी से भेंट हुई थी। उन्हें कंठस्थ की गई उन्हीं की कविता भी सुनाई थी। तब वे गद् गद् हो गए। बाद में कई भाषणों में उनकी कविता का उल्लेख किया।
पंगत में बैठकर किया भोजन
जनवरी 1985 में बांसवाड़ा में भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान शहर में कोई बड़ी वाटिका नहीं थी। भीतरी शहर में नेमा भोजनशाला का भवन था, जिसमें अधिक संख्या में लोग आ सकते थे। ऐसे में भोजन की व्यवस्था भोजनशाला में की गई। जब वाजपेयी पहुंचे तो उन्होंने जमीन पर बैठकर ही भोजन करने की इच्छा जताई। इसके बाद भानुकुमार शास्त्री, श्रीपतराय दवे, उमेश पटियात, भीमसिंह दोसी, रमेश पंवार आदि नेताओं के साथ जमीन पर बैठकर पंगत में भोजन ग्रहण किया।
जनवरी 1985 में बांसवाड़ा में भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान शहर में कोई बड़ी वाटिका नहीं थी। भीतरी शहर में नेमा भोजनशाला का भवन था, जिसमें अधिक संख्या में लोग आ सकते थे। ऐसे में भोजन की व्यवस्था भोजनशाला में की गई। जब वाजपेयी पहुंचे तो उन्होंने जमीन पर बैठकर ही भोजन करने की इच्छा जताई। इसके बाद भानुकुमार शास्त्री, श्रीपतराय दवे, उमेश पटियात, भीमसिंह दोसी, रमेश पंवार आदि नेताओं के साथ जमीन पर बैठकर पंगत में भोजन ग्रहण किया।
तब बोले अटल- त्रिपुरा नहीं यह तो त्रिपुर सुंदरी होना चाहिए
अटल बिहारी वाजपेयी ने बांसवाड़ा की यात्रा के दौरान त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन भी किए। उनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे भानुकुमार शास्त्री, उमेश पटियात, पूर्व नपाध्यक्ष मणिलाल बोहरा, पूर्व जिलाध्यक्ष ओम पालीवाल, निर्मल दोसी आदि रहे। पालीवाल ने बताया कि जब वाजपेयी त्रिपुरा सुंदरी पहुंचे तो वहां सरेड़ी बड़ी के ब्राह्मण पूजन कर रहे थे। उन्होंने मंदिर पर त्रिपुरा सुंदरी लिखा देखा तो कहा कि मूल रूप से यह त्रिपुर सुंदरी होना चाहिए। अपभ्रंश के कारण यह त्रिपुरा हो गया है। उन्होंने कहा कि 1996 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें बांसवाड़ा को रेल से जोडऩे की मांग से अवगत कराया तो उन्होंने कहा था कि यहां से भाजपा का सांसद बनाओ, रेल भी मिल जाएगी।
अटल बिहारी वाजपेयी ने बांसवाड़ा की यात्रा के दौरान त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन भी किए। उनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे भानुकुमार शास्त्री, उमेश पटियात, पूर्व नपाध्यक्ष मणिलाल बोहरा, पूर्व जिलाध्यक्ष ओम पालीवाल, निर्मल दोसी आदि रहे। पालीवाल ने बताया कि जब वाजपेयी त्रिपुरा सुंदरी पहुंचे तो वहां सरेड़ी बड़ी के ब्राह्मण पूजन कर रहे थे। उन्होंने मंदिर पर त्रिपुरा सुंदरी लिखा देखा तो कहा कि मूल रूप से यह त्रिपुर सुंदरी होना चाहिए। अपभ्रंश के कारण यह त्रिपुरा हो गया है। उन्होंने कहा कि 1996 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें बांसवाड़ा को रेल से जोडऩे की मांग से अवगत कराया तो उन्होंने कहा था कि यहां से भाजपा का सांसद बनाओ, रेल भी मिल जाएगी।