करीब तीन माह पूर्व ऐलोपैथी चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों की एक टीम ने बस्सीआड़ा में वैद्य गोपाल जाट के क्लिनिक पर छापामार कार्रवाई की थी, जहां वैद्य अपनी सरकारी नौकरी को किनारे रख दिन में मरीजों का उपचार करते हुए मिला। वह मरीज को इंजेक्शन लगाते हुआ मिला। छानबीन एवं पड़ताल के दौरान पूरा क्लिनिक अंग्रेजी दवाइयों से भरा हुआ था। ऑपरेशन के औजार, उपयोग किए हुए हाथों के दस्ताने सहित अन्य कई प्रकार की प्रतिबंधित एवं आपत्तिजनक दवाएं बरामद हुई। इन दवाइयों को रखने एवं बिक्री का उसके पास किसी प्रकार की स्वीकृति या लाइसेंस नहीं मिला।इस कार्रवाई के बाद टीम ने पूरी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों तक भेजी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर पूरे मामले को मिलीभगत के चलते रफा दफा कर दिया गया। अब हालत ये है कि तीन माह गुजरने के बाद भी इस ओर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है और वैद्य का क्लिनिक आज पूर्ववत चल रहा है।
खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी घाटोल, चिकित्सा अधिकारी प्रभारी आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बस्सीआड़ा राजमल तेली की टीम ने ये दी रिपोर्ट
– वैद्य गोपाल जाट द्वारा बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसन) की डिग्री होने के बावजूद एलोपैथी (अंगे्रजी चिकित्सा पद्धति) में प्रैक्टिस की जा रही थी।
– इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर गोपाल ने छीना-झपटी करते हुए अधिकांश दवाइयों और इन्टूमेंट्स को अन्यत्र कहीं छुपा दिया।
– इस कार्रवाई के दौरान ग्रामीणों ने समझाइश कर इस बार माफ करने का निवेदन किया। साथ ही गोपाल ने भविष्य में किसी प्रकार की एलोपैथी दवाईयों का उपयोग न करने का वादा किया।
– मौके पर इंजेक्शन ऑक्सीटोसीन, इंजेक्शन सैफ्ट्रायजोन सालबेक्टम, डेरीफाइलीन इंजेक्शन, डाइक्लोफिनेक इंजेक्शन, आरएल बोटल, डीएनएस बोटल, इंजेक्शन कार्बोप्रोस्ट, विटकोफोल इंजेक्शन, डेरीफाइलीन टेबलेट, स्माजमोप्रोक्सीवोन, इंजेक्शन बैंजाक्शीन पेनीसिलीन, इंजेक्शन कार्बोपोस्ट, इंजेक्शन ट्राइअमसिनोलेन, एमटीपिल किट आदि मिले।
ऐलोपैथी में प्रैक्टिस करने की शिकायत पर बीसीएमओ और चिकित्सा अधिकारी ने कार्रवाई की थी, जिसकी रिपोर्ट थाना पुलिस और आयुर्वेद विभाग को दी थी। कोई वैद्य ऐलोपैथी में प्रैक्टिस नहीं कर सकता है।
डॉ.एचएल ताबीयर, सीएमएचओ, स्वास्थ्य विभाग बांसवाड़ा
क्लिनिक पर आयुर्वेद का चिकित्सक प्रैक्टिस नहीं कर सकता है। यह पूर्व का मामला हैं मैने अभी पदभार संभाला हैं। इस दिखवाता हूं।
कमल किशोर पाठक, उप निदेशक, आयुर्वेद विभाग बांसवाड़ा
ऐलोपैथी की दवाइयां तो मैं नाममात्र की काम में लेता हूं। वो तो टाइम पास के लिए उपचार करता हूं। एमओ राठौड़ी में आए थे, उनसे बनती नहीं है। बंधी पैसे मांगता है कौन देगा इनको। छीना झपटी हुई थी तो मैं एक तरफ चला गया था।
गोपाल जाट, वैद्य, आयुर्वेद विभाग