आस-पास के गांवों में निवासरत बच्चे यहां से गुजरते हैं। टूटी रेलिंग हादसे को आमंत्रण दे रही है। पर, प्रशासन बेपरवाह दिखा तो आखिर युवाओं ने पुल पर सुरक्षा के लिए बीड़ा उठाया। रक्षाबंधन के दिन बांसवाड़ा की पहचान बांस को ही उन्होंने इसके लिए चुना और खड़े व आड़े बांस रस्सी से बांध यह सुरक्षा इंतजामा किए प्रयास किए। इससे एक बारगी राहगीरों के लिए खतरा तो निश्चित कम हुआ है। लेकिन, यह स्थाई समाधान नहीं है। युवाओं ने जो किया वह प्रशासन के लिए किसी सबक से कम नहीं। अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह तुरंत इस कार्य को अंजाम दे।
इन्होंने समझा दर्द
परमेश्वर मईड़ा, दिनेश चरपोटा, रमेश चंद्र मईड़ा, विजेंद्र डिण्डोर, सूरज मईड़ा, घनश्याम मईड़ा, मणिलाल निनामा, शांतिलाल मईड़ा, रविंद्र भाई, भगवती चरपोटा, शांतिलाल मईड़ा, रवीनभाई, भगवती चरपोटा एवं अन्य कई समाजसेवी एवं युवाओं ने इस दौरान सहयोग किया। युवाओं का कहना था कि बच्चे यहां ताकाझांकी करते रहते हैं कभी भी कोई हादसा हो सकता है। यह अस्थाई इंतजाम है, लेकिन जब तक प्रशासन नहीं जागता तब तक तो यह ही रक्षा सूत्र है।
परमेश्वर मईड़ा, दिनेश चरपोटा, रमेश चंद्र मईड़ा, विजेंद्र डिण्डोर, सूरज मईड़ा, घनश्याम मईड़ा, मणिलाल निनामा, शांतिलाल मईड़ा, रविंद्र भाई, भगवती चरपोटा, शांतिलाल मईड़ा, रवीनभाई, भगवती चरपोटा एवं अन्य कई समाजसेवी एवं युवाओं ने इस दौरान सहयोग किया। युवाओं का कहना था कि बच्चे यहां ताकाझांकी करते रहते हैं कभी भी कोई हादसा हो सकता है। यह अस्थाई इंतजाम है, लेकिन जब तक प्रशासन नहीं जागता तब तक तो यह ही रक्षा सूत्र है।