यह है मामला रोहनिया निवासी 7 वर्षीय वाइपा पुत्री विकेश की मंगलवार शाम अचानक तेज बुखार, सांस अटकने और ताण आने की शिकायत हुई। इस पर परिजन उसे घोड़ी तेजपुर पीएचसी ले गए, जहां ड्यूटी पर मेल नर्स ने बच्ची के बिगड़ते स्वास्थ्य को देख महात्मा गांधी अस्पताल रैफर कर दिया, लेकिन बच्ची को घोड़ी तेजपुर से एम जी लेकर आ रही एंबुलेंस 104 रतलाम मार्ग पर अंकुर स्कूल के समीप खराब हो गई और करीब 40 मिनट तक बच्ची उपचार के अभाव में तड़पती रही। पत्रिका रिपोर्टर के मौके पर पहुंचने पर पायलट करतार ने पहले तो कुछ बताने में आनाकानी की बाद में उसने बताया कि रास्ते में गाड़ी की चेंचिस में गड़बड़ी आ गई। इस कारण पूरा इंजन जमीन पर गिर पड़ा और गाड़ी बंद हो गई।
संचालकों ने नहीं भेजी दूसरी एम्बुलेंस इस मामले में एंबुलेंस संचालक संस्था के कर्ताधर्ताओं की संवेदनहीनता की भी कलई खुलकर क्तसामने आ गई। एम्बुलेंस खराब होने पर पायलट करतार सिंह ने संस्था के लोगों को दूसरी एम्बुलेंस भेजने के लिए दर्जनों फोन किए, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने एक नहीं सुनी। दूसरी एंबुलेंस को मौके पर नहीं भेजा।
एमजी में लगानी पड़ी ऑक्सीजन अस्पताल पहुंचते-पहुंचते बच्ची की तबीयत इस कदर बिगड़ गई कि उसे तत्काल ऑक्सीजन पर रखना पड़ा। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रद्युम्न शाह ने बताया कि बच्ची की हालत गंभीर थी। उसे अस्पताल लाने में देर कर दी गई। उसकी सांसें बुरी तरह टूटी रही थी। तेज बुखार भी था। बच्ची सीरियस अस्थमा, निमोनिया और एनीमिया से ग्रसित है। उसे उदयपुर रैफर कर दिया है, ताकि बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार हो सके। लेकिन रात तक परिजन उसे एम जी में ही रखे हुए थे।
40 मिनट में पुलिस लाइन से रतलाम रोड नहीं पहुंच पाई एंबुलेंस प्रदेश स्तर पर एंबुलेंश संचालक निजी संस्था जीवीके ईएमआरआई के बांसवाड़ा के प्रोग्राम मैनेजर विजय कालरा ने बताया कि रतलाम रोड स्थित पर्यटन विभाग कार्यालय के पास जब 104 के ब्रेकडाउन की सूचना आई तो पुलिस लाइन में खड़ी रिजर्व एंबुलेंस को सहायता के लिए रवाना कर दिया, और सफाई दी कि जाम के कारण वहां तक पहुंचने में देरी हुई।
पत्रिका पहले भी चेता चुकी है एंबुलेंस संचालक निजी कम्पनी की कोताही को लेकर राजस्थान पत्रिका पूर्व में कई बार उजागर कर चुका है। लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार के लिए न तो स्वाथ्य विभाग जागा और न ही संस्था के जिम्मेदारों ने सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया। गाडिय़ों की बदहाली का आलम जैसा पहले था वैसा आज भी है।
बच्ची सीरियस थी बच्ची जब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो उसकी हालत बहुत खराब थी। सांसें बुरी तरह टूट रही थीं। तेज बुखार था। ऐसे में देखकर उसे तत्काल महात्मा गांधी अस्पताल बांसवाड़ा के लिए रैफर कर दिया।
देवचंद्र निनामा, मेल नर्स, पीएचसी घोड़ी तेजपुर
देवचंद्र निनामा, मेल नर्स, पीएचसी घोड़ी तेजपुर