स्वच्छता सर्वे शुरू होने के बाद भी शहर की सफाई व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई। सर्वे के बाद से अब तक स्थिति यह है कि कई स्थानों पर डस्टबिन खाली करने की कोई जहमत नहीं उठा रहा है। कॉलोनियों से गुजरने वाले नालों में कचरा भरा है। सौन्दर्यीकरण को लेकर कोई पहल नहीं की गई। सर्वे के समय बने नए शौचालयों पर ताले लगे रहे। भीड़ भरे इलाकों में मुख्य मार्गों की स्थिति ठीक नहीं रही। मोबाइल टायलेट की नियमित सफाई का अभाव रहा। सर्वे को लेकर जन जागरूकता के संदेश तक शहर में नजर नहीं आए।
स्वच्छता को लेकर दो बार सर्वे हो चुके हैं, लेकिन बांसवाड़ा नगर परिषद ठोस व तरल कचरा प्रबंधन को लेकर पूरी तरह उदासीन रही। घर-घर कचरा संग्रहण तो किया जा रहा है, लेकिन इसके प्रबंधन को लेकर कोई पहल नहीं की गई। कागजों में योजनाएं बनी और वहीं दफन हो गई। जबकि पिछले वर्ष सभापति ने बीते वर्ष दावा किया था कि अगले वर्ष इसे जरूर पूरा करेंगे, लेकिन इस दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाए।
– सिटीजन फीडबैक
– स्वच्छता एप डाउनलोड
– डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन
– स्वच्छता समितियों का गठनन
– स्कूली समितियां नहीं बनी इतने मिले अंक
इस बार पांच हजार अंकों का सर्वे हुआ। बांसवाड़ा को पार्ट एक में 245.75, पार्ट दो में 150 व पार्ट तीन में 723 अंक सहित कुल 1974.11 अंक ही मिले हैं।