बांसवाड़ा

स्वच्छता सर्वे रैंकिंग 2018 : प्रदेश के 20 सबसे गंदे शहरों में से एक बना बांसवाड़ा, सभापति बोली- हमने किया प्रयास लेकिन जनता नहीं जागरूक

बांसवाड़ा पश्चिम जोन में 790 और प्रदेश में 142वें स्थान पर

बांसवाड़ाJun 25, 2018 / 12:54 pm

Ashish vajpayee

स्वच्छता सर्वे रैंकिंग 2018 : प्रदेश के 20 सबसे गंदे शहरों में से एक बना बांसवाड़ा, सभापति बोली- हमने किया प्रयास लेकिन जनता नहीं जागरूक

बांसवाड़ा. ‘कोई भगवान अवतार नहीं लेंगे। सफाई के लिए हमें ही आगे बढऩा होगा और कार्य में सुधार करना होगा…।’ राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वे को लेकर हरिदेव जोशी रंगमंच में आयोजित कार्यशाला में जिला कलक्टर ने इन्हीं शब्दों से शहर में सफाई को लेकर नसीहत दी थी। इसके बावजूद सफाई को लेकर न शहरवासी चेते और न ही नगर परिषद की ओर से ऐसे कदम उठाए गए। इसी का परिणाम है कि स्वच्छता रैकिंग में बांसवाड़ा धराशायी हो गया है। पश्चिम जोन के 875 शहरों में बांसवाड़ा 790वें स्थान पर है और प्रदेश के 162 शहरों में से 142वें स्थान पर है।
इस वर्ष जनवरी माह में देश के 4041 शहरों में राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वे किया गया था। इसमें विभिन्न प्रकार की गतिविधियां संचालित करनी थी। प्रत्येक गतिविधि को लेकर अंक निर्धारित किए गए थे। सार्वजनिक स्थानों की सफाई, मोहल्ला बैठक, सामाजिक और व्यापारिक संगठनों को जोडऩे, सिटीजन फीडबैक, स्वच्छता एप डाउनलोड, डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन, स्वच्छता समितियों का गठन, नुक्कड़ नाटक सहित अन्य आईईसी गतिविधियां, होटल में सफाई, जनता की राय आदि को लेकर चार हजार अंक निर्धारित थे।
सारे दावे फेल
स्वच्छता सर्वे में बांसवाड़ा को अधिकाधिक अंक मिले, इसके लिए राज्यमंत्री से लेकर कलक्टर, सभापति और आयुक्त तक जुटे। सभापति और आयुक्त की ओर से प्रदेश के टॉप 100 शहरों में आने का दावा भी किया गया, लेकिन नतीजों ने इन दावों की धरातलीय स्थिति बयां कर दी।
लेंगे पूरा सहयोग
सर्वे में बांसवाड़ा की रैंकिंग निचले स्तर पर रहने के संबंध में आयुक्त बीआर सैनी ने कहा कि सर्वे को लेकर काफी प्रयास किए। वार्डवार कार्मिक तैनात कर निगरानी रखी। कार्यशालाएं कराई। अगले सर्वे में जनता और जनप्रतिनिधियों का पूरा सहयोग लेंगे। ठोस कचरा निस्तारण यूनिट सहित अन्य कार्यों के पूरा होने से स्थितियां बदलेंगी, ऐसा विश्वास है।
महत्वपूर्ण गतिविधि नहीं
स्वच्छता सर्वे में बांसवाड़ा जिला डूंगरपुर और प्रतापगढ़ से भी पिछड़ गया। यहां नगर परिषद के साथ अधिकांश नागरिकों का भी सर्वे को लेकर कोई सरोकार नहीं दिखा। स्वच्छता एप डाउनलोड करने में पिछड़ गए। स्कूली स्वच्छता समितियां कागजों में दफन हो गई।
जनता नहीं रही जागरूक
स्वच्छता सर्वे को लेकर हमने अधिकाधिक अंक मिले, इसकी पूरी कोशिश की। जनता में भी जागरुकता की कमी रही। एप डाउनलोड कम होने से सिटीजन फीडबैक में कमी रही। डंपिंग यार्ड के समीप नहर गुजरने से वेस्ट प्रोसेसिंग अमल में नहीं आ पाई। इस बार जो कमियां रही हैं, उन्हें अगले सर्वे में पूरी तरह से दूर करेंगे।
मंजूबाला पुरोहित, सभापति, नगर परिषद

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