ये कलक्टर रहे, लेकिन मिले कुछ ही : – भूमिका के भाई शंकर भोई के मुताबिक विभाग स्तर से बजट की व्यवस्था खर्च का बिल देने पर होता था। गोद लेने से अब तक के सफर में पांच कलक्टर बदले, लेकिन भूमिका से मुलाकात तत्कालीन कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित, भगवती प्रसाद कलाल, आशिष गुप्ता ने ही एक-एक बार की। तत्कालीन कलक्टर अनुपमा जोरवाल और वर्तमान कलक्टर अंतरसिंह नेहरा से भूमिका की मुलाकात नही हुई। अंतिम बार कलक्टर आशीष गुप्ता ने रक्षाबंधन पर बुलाया था और 10-15 मिनट की मुलाकात भी की थी। घर तक कोई कलक्टर नही पहुंचा। खासबात यह भी है कि पढ़ाई को लेकर प्रोत्साहन पर भी विशेष ध्यान नही दिया। हाल ही में 15 जनवरी को भूमिका का जन्म दिन भी था, लेकिन किसी ने खबर तक नही ली।
पढ़ाई में नही लगता मन : – पत्रिका से बातचीत में भूमिका ने पढऩे में मन नही लगने की बात कही। इसका मुख्य कारण अंग्रेजी माध्यम स्कूल होना है। अब भूमिका आठ माह से स्कूल ही नहीं जा रही है। वो इन दिनों घर पर है। उसके भाई शंकर का कहना है कि हम पढ़ाने को तैयार है, लेकिन पता नही ये क्यों नही जा रही।
हम पढ़ाने को अब भी तैयार : – ये पूर्व का मामला है। पता करने पर सामने आया कि आठवीं तक भूमिका ने अध्ययन किया। उसके बाद वो स्कूल ही नही आई। कई बार घर तक भी जानकारी भिजवाई। अब भी यदि वो पढऩा चाहती है तो हम पढ़ाने को तैयार है। फीस सहित अन्य पहलूओं की चिंता भी परिवार छोड़ दे। – उमाशंकर विजय, प्रधानाचार्य केवी
लिखित जानकारी नही : – मैंने कुछ माह पहले ही बांसवाड़ा में कार्यभार संभाला है। भूमिका की फाइल देखने पर ज्ञात हुआ कि पूर्व में भूमिका के परिवार तक तय राशि समय पर पहुंचाई गई है। अंतिम बार नवंबर 2018 में दस हजार से अधिक का बजट दिया था। हमारे पर भूमिका के स्कूल छोडऩे की लिखित में जानकारी नही हैं। – आशिन शर्मा, सहायक निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग
जानकारी नहीं है : – मुझे गोद ली गई बेटी के स्कूल छोडऩे के संबंध में जानकारी नही हैं। मैं आज ही पता लगाता हूं। – अंतर सिंह नेहरा, कलक्टर बांसवाड़ा