यह खुलासा विभाग की ओर से जांच रिपोर्ट मांगने पर हो रहा है, जबकि ज्यादातर जिले बार-बार सूचनाएं मांगने पर भी इसकी अनदेखी कर रहे हैं। ऐसे में संदेह गहराया हुआ है कि वास्तव में निर्माण सामग्री के नमूने लिए भी जा रहे हैं या नहीं।
गौरतलब है कि गत तीन अक्टूबर को ग्रामीण विकास व पंचायतीराज विभाग से निर्देश जारी किए गए थे कि विभागीय निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निर्माण सामग्री के नमूने लेने और निजी प्रयोगशाला में जांच करवाने के बाद रिपोर्ट तीन दिन में भेजी जाए। इस पर जिलास्तरीय अधिकारी लापरवाह बने रहे। हालात यह हैं कि पूरे राज्य से मात्र 10 जिलों की ही रिपोर्ट विभागीय मुख्यालय पहुंची है।
इन जिलों से झलकी है लापरवाही नमूनों की जांच रिपोर्ट भेजने में 23 जिलों ने ढिलाई बरती है। इसमें बांसवाड़ा, अजमेर, अलवर, बारां, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, चित्तौडगढ़़, चूरू, हनुमानगढ़, जयपुर, जालौर, झुंझुनूं, जोधपुर, करौली, नागौर, पाली, राजसमंद, सीकर, सिरोही, गंगानगर और टोंक जिले सम्मिलित हैं।