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बांसवाड़ा : शासन-प्रशासन ने मुंह फेरा तो कुंडला कला गांव से रतलाम रोड तक ग्रामीणों ने खुद बनाई दो किमी की सडक़

locationबांसवाड़ाPublished: Sep 22, 2019 12:36:25 pm

Submitted by:

deendayal sharma

बांसवाड़ा में माही डेम के डूब क्षेत्र के पास बसे कुंडला कला, क्षत्रिय पाड़ा और बोर तालाब गांव की बदहाल सडक़ से शासन-प्रशासन ने मुंह फेरा तो ग्रामीणों ने खुद ही पहल कर दो किमी का निर्माण कर सफर आसान कर दिया है।

बांसवाड़ा : शासन-प्रशासन ने मुंह फेरा तो कुंडला कला गांव से रतलाम रोड तक ग्रामीणों ने खुद बनाई दो किमी की सडक़

बांसवाड़ा : शासन-प्रशासन ने मुंह फेरा तो कुंडला कला गांव से रतलाम रोड तक ग्रामीणों ने खुद बनाई दो किमी की सडक़

आशीष बाजपेई. बांसवाड़ा. उबड़-खाबड़ और बदहाल सडक़ पर चलने में दर्द क्या होता है ये तो जो भुगतता है वही महसूस कर सकता है। एक-दो, नहीं चालीस साल से तीन गांवों के करीब एक-डेढ़ हजार लोग रोज इस दर्द को झेल रहे हैं। प्रशासन की पहल की आस में उनकी आंखें पथरा गई, भटकते भटकते चप्पलें घिस गई और जब तमाम उम्मीदें टूट गई तो गांव के दो युवा शिक्षकों की अगुवाई में ग्रामीणों और किशोरों ने खुद ही पहल कर चंद दिनों में दो किमी सडक़ को सुधार कर चलने लायक बना दिया।
मामला माही डेम के डूब क्षेत्र के पास बसे कुंडला कला, क्षत्रिय पाड़ा और बोर तालाब गांव के लोगों की पीड़ा का है। बांध बनने के बाद वैसे तो इलाके में कभी सडक़ नहीं बनी, लेकिन निरंतर आवाजाही के चलते बारह- चौदह फीट चौड़ा एक रास्ता बन गया और लोगों के लिए यही सडक़ हो गई। यह सडक़ रतलाम रोड से जोड़ती है। पानी की मार, रोज लोगों के साथ वाहनों की आवाजाही बढऩे से कच्ची सडक़ धीरे धीरे खराब होती गई।
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चार-चार फीट के गड्ढे
ग्रामीण भीम सिंह, कैलाश डामोर, विश्राम और दिलीप ने बताया कि सडक़ पर तीन-तीन, चार-चार फीट के गड्ढे बन गए। सडक़ परदो किमी का सफर तय करने में वाहन से भी आधा घंटा लग जाता था। बीमार को ले जाने एम्बुलेंस आती तो दो किमी दूर ही रुक जाती। तब दो किमी खाट पर ले जाना पड़ता। पैदल चलना भी दुश्वार। बच्चे पढऩे के लिए स्कूल जाते तो लौटकर आने पर कपड़ों पर खूब कीचड़ लग जाता। इससे 3 गांव कुंडला कला, क्षत्रिय पाड़ा और बोर तालाब गांव के तकरीबन दो सौ परिवारों के डेढ़ हजार लोग प्रभावित थे।
फैक्ट फाइल
02 किमी सडक़ की ग्रामीणों ने की मरम्मत
4-4 फीट के गड्ढों से मिली मुक्ति
02 शिक्षकों की प्रेरणा बनी मिसाल
100 विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत दे रही सभी को सुविधा
03 गांवों के लोग थे प्रभावित
1000 लोगों को मिलेगी राहत
ऐसे जगी अलख
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के दो युवा शिक्षक विकास खराड़ी और शम्भूलाल ने किशोरों और ग्रामीणों को प्रेरित किया। इसके बाद ग्रामीणों और बच्चों ने मिलकर सडक़ की मरम्मत कर तकरीबन 20 से 25 गड्ढों को भर सडक़ को चलने लायक बनाया। अब सडक़ पर गाडिय़ां कीचड़ में नहीं फंसती है और लोग पैदल भी आसानी से निकल पा रहे हैं।
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