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बांसवाड़ा : दीपावली की बहार, सज गया बाजार

locationबांसवाड़ाPublished: Oct 12, 2017 02:13:06 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

मिट्टी के दीपकों का भी सजने लगा बाजार, रंगों ने भी दिखाई अपनी चमक

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बांसवाड़ा. आगामी दिनों में आ रहे धनतेरस दीपावली और भैयादूज के चलते बाजार में रौनक बढ़ गई है। खास तौर पर दीपोत्सव पर लक्ष्मी जी के आगमन के लिए घरों व दुकानों को रंग रोगन कर सजाने का सिलसिला जारी है। दीपावली को भुनाने के लिए दुकानदारों की ओर से पूरी तैयारी कर ली है और ग्राहकों को लुभाने के लिए तरह- तरह के सजावटी सामान रंगबिरंगी लडिय़ों से स्टाल सज गए हैं।
चहल-पहल बढ़ी

मां लक्ष्मी के पूजन के लिए दीप जलाने वाली थाली, रंगीन दीये तथा दीपोत्सव से जुड़ा अन्य सामान भी उपलब्ध है। सभी तरफ लोग तयोहारों की तैयारियों में जुटे नजर आ रहे है। इसके चलते शहर में चहलकदमी बढऩे लगी है। लोग दीपावली और आगामी समय में आ रहे अन्य त्योहार से संबंधित सामान की खरीद.फ रोख्त करने में जुटे हुए है। धनतेरस पर सोने और चांदी की खरीददारी को अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए प्रत्येक परिवार इस मान्यता के चलते कोई न कोई सोने और चांदी की वस्तु खरीदने को तरजीह देता है जिसके मद्देनजर ज्वेलरी शॉप मालिकों ने भी विशेष तैयारी की है। घर की साज.सज्जा के सामान लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। मोम के सुंदर दीए, इलेक्ट्रोनिक्स सामान आदि बाजार की शोभा बढ़ा रहे हैं।
आतिशबाजी बिक्री के अनुज्ञा पत्रों का इंतजार

बांसवाड़ा.दीपावली पर्व को लेकर बाजार में रौनक परवान पर है, लेकिन आतिशबाजी की बिक्री करने वाले दुकानदारों को अभी तक अनुज्ञापत्र जारी नहीं होने से सन्नाटा पसरा हुआ है। सूत्रों के अनुसार गांधी मूर्ति के आस-पास के क्षेत्र में बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किए जाएं या नहीं किए जाएं इसको लेकर पेंच फंसा हुआ है। इसके चलते लाइसेंस प्रक्रिया में देरी हो रही है। कुछ लोगों ने दुर्घटना का अंदेशा जताते हुए चन्द्रपोल गेट और गांधी मूर्ति के आस-पास दुकानों का संचालन नहीं करने की मांग की है। वहीं सालों से यहा दुकान लगाकर आतिशबाजी बेचने वालों ने मांग की है कि प्रशासन जो भी निर्णय करे, वह जल्दी करे जिससे उनको नुकसान झेलना नहीं पड़े। गौरतलब है कि कुछ लोगों ने एक ही स्थान पर कुशलबाग मैदान पर भी एक साथ दुकानें लगाने की भी मांग की है।
कलम, दवात और बही पूजन की परम्परा

बांसवाड़ा. ई लेखा तथा कम्प्यूटरीकृत लेखा प्रणाली के चलन में आने के बाद भी पुरातन काल की दीप पर्व पर लक्ष्मी पूजन के साथ कलम दवात और बही पूजन की परम्परा आज भी बरकरार है। विकास की रफ्तार के साथ आए बदलाव में प्रत्येक कार्य में कम्प्यूटर का उपयोग होने लगा। इसी के परिणाम स्वरूप लेखा कार्य में भी कम्प्यूटर क्रान्ति ने अपना प्रभुत्व जमा लिया है तथा छोटे से लेकर बड़े व्यवसाय में कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी की उपयोग पूरी तीव्रता के साथ होने लगा है, लेकिन इन सबके बावजूद लक्ष्मी पर्व दीपावली में कलम, दवात एवं बहीखाता पूजन की परम्परा बरकरार रहने से बाजार में दुकानों पर महाजनी बहिखाता पद्धति में काम आने वाली बहियां सजनी शुरू हो गई हंै। लाल रंग के सूती कपड़े के कवर से बनी इन बहियों का स्वरूप भी अपने आप में अलग ही दिखता है।
लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियों से गुलजार है बाजार

लक्ष्मी और गणेश की तरह.तरह की मूर्तियों से बाजार गुलजार हो रहा है। मिट्टी की मूर्ति के अलावा इलेक्ट्रोनिक मूर्तियों की भी जमकर मांग है। सामान्य मूर्तियों की कीमत तीस रुपये से लेकर करीब ढाई सौ रुपया तक है। पान के पत्ते पर गणेश भी पंसद किए जा रहे हैं। सजावट के सामान में क्रिस्टल लाइट, मटका, पाइप लाइट, मिर्ची झालर आदि पंसद किए जा रहे हैं। वहीं वार्षिक लेनदेन का लेखाजोखा रखने के लिए बहियों की बिक्री भी तेज होने लग गई है।
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