इसे लेकर सुबह करीब 10 बजे एमजी चिकित्सालय में एकत्र कार्मिक सीधे जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें वेतन के साथ ही पीएफ राशि के बारे में भी अब तक एजेंसी की ओर से कोई जानकारी नहीं दिए जाने के आरोप लगाए। उन्हें 5 हजार रुपए मासिक मिलते हैं और उसमें भी ऐसे हालात हैं। इधर, सुरक्षा कार्मिकों के हटते ही मनमर्जी के हालात रहे। रोगी व उनके परिजन मनमर्जी से यहां-वहां घूमते रहे और वार्ड में भी परिजनों की काफी भीड़ रही, जिससे नर्सिंग कर्मियों को रोगियों के उपचार में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
पहले भी हुआ ऐसा
ऐसा पहली मर्तबा नहीं है। इससे पूर्व भी जिस एजेंसी का ठेका था उसनेअंतिम दो माह का वेतन भुगतान नहीं किया है। चिकित्सालय प्रशासन ने एजेंसी को ब्लेक लिस्टेड कर दिया है और उसका भुगतान भी रोक लिया है। पर, इन सुरक्षा कार्मिकों को अब तक वह वेतन नहीं मिला है। अब इस एजेंसी का समय भी लगभग पूरा होने को है और वेतन फिर रुका पड़ा है। ऐसे में कहीं पूर्व के एजेंसी की तरह ही ऐसा फिर न हो जाए इसे लेकर कार्मिकों में चिंताएं बढ़ गई हैं।
समझाइश पर माने
इसके बाद सुरक्षा एजेंसी के सुपरवाइजर मांगीलाल ने कार्मिकों से समझाइश की और वेतन संबंधित कार्रवाई को आगे बढ़वाया। इसके बाद दूसरी शिफ्ट में कार्मिक लौटे।
औपचारिकता पूरी नहीं महात्मा गांधी राजकीय चिकित्सालय के पीएमओ अनिल भाटी का कहना है कि एजेंसी की ओर से गत दो माह तमाम औपचारिकता पूरी कर वेतन बिल नहीं दिया गया है। यह तय किया गया है कि जारी की गई राशि से कार्मिकों को वेतन दे दिया गया है इसका प्रमाण पत्र भी एजेंसी को देने होता है। हमारी ओर से कोई देरी नहीं है।
एक बार भी समय पर नहीं
इगल एक्स सर्विसमैन वेलफेयर सोसायटी के मैनेजर ने बताया कि हम नियमानुसार वेतन बिल दे रहे हैं। जब से एजेंसी प्रारंभ हुई है तब से समय पर भुगतान नहीं मिलने की परेशानी है।