टोली में शामिल युवा वजेंग पाटीदार ने चर्चा पर कहा कि पहले अक्सर फुर्सत में वे दोस्तों के साथ चौराहे पर बैठकर बतियाते-टाइम पास करते थे। एक दिन यों ही गांव में फैली गंदगी-कचरे को लेकर चिंता जताई, तो दोस्तों ने मिलकर सफाई की मुहिम अपने स्तर पर ही चलाने पर सहमति दी। फिर क्या था, सप्ताह में एक दिन बस इसी काम को देने का निश्चय किया और जुटने लगे। पहले पहल पाटीदार बस्ती को साफ किया और वहीं सप्ताह में एक दिन श्रमदान कर गांव को स्वच्छ बनाने की शपथ ली। यह देखकर बुजुर्गों का भी समर्थन मिलने लगा। तब से यह क्रम जारी है।
युवाओं की टीम में शामिल एक और युवा प्रवीण पाटीदार ने कहा कि ग्राम पंचायत सफाई करवाती है, लेकिन उसी पर निर्भर रहना और कचरा फैलने पर कोसना समझदारी नहीं है। यही सोचकर सभी दोस्त खुद जुटे। अब स्थिति यह है कि जो लोग करीबी बस्ती में मदद को आगे नहीं आते, वे भी इतना विचार जरूर करते हैं कि कम से कम अपने घर के आसपास को तो साफ रख ही सकते हैं। इससे भी बदलाव होने लगा है। टीम के सदस्य प्रकाश पाटीदार, निलेश पाटीदार, रोशन पाटीदार और जितेंद्र भी हैं और अब दूसरे समाजों के युवा भी इनकी मुहिम में जुडकऱ सहयोग कर रहे हैं।