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बांसवाड़ा : नगर परिषद में सामान्य वर्ग का सभापति, परतापुर और कुशलगढ़ पालिका में एसटी के होंगे अध्यक्ष

locationबांसवाड़ाPublished: Oct 21, 2019 11:24:08 am

Submitted by:

deendayal sharma

President of STप्रदेश में नगर निकाय प्रमुख पद के आरक्षण की लॉटरी प्रक्रिया रविवार को पूर्ण होने के साथ ही स्थिति साफ हो गई। बांसवाड़ा नगर परिषद मेंसभापति का पद सामान्य वर्ग तथा पहली बार परतापुर-गढ़ी नगरपालिका के लिए हो रहे चुनाव में अध्यक्ष का पद अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है।

बांसवाड़ा : नगर परिषद में सामान्य वर्ग का सभापति, परतापुर और कुशलगढ़ पालिका में एसटी के होंगे अध्यक्ष

बांसवाड़ा : नगर परिषद में सामान्य वर्ग का सभापति, परतापुर और कुशलगढ़ पालिका में एसटी के होंगे अध्यक्ष

बांसवाड़ा. प्रदेश में नगर निकाय प्रमुख पद के आरक्षण की लॉटरी प्रक्रिया रविवार को पूर्ण होने के साथ ही स्थिति साफ हो गई। बांसवाड़ा नगर परिषद मेंसभापति का पद सामान्य वर्ग तथा पहली बार परतापुर-गढ़ी नगरपालिका के लिए हो रहे चुनाव में अध्यक्ष का पद अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है।
कुशलगढ़ में अगले वर्ष होने वाले पालिका चुनाव में भी अध्यक्ष का पद अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ। रविवार देर शाम प्रक्रिया पूर्ण होने पर सभापति व पालिकाध्यक्ष के पद के दावेदारों के चेहरे खिल उठे। वहीं राजनीतिक हलकों में भी हलचल बढ़ गई।निकाय प्रमुख की लॉटरी को लेकर राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों और दावेदारों की निगाहें लॉटरी में पद आरक्षण पर थी।
देर शाम जैसे ही पद के आरक्षण की स्थिति साफ हुई, सभापति व पालिकाध्यक्ष के दावेदारों के चेहरों पर मुस्कान छा गई। राजनीतिक दलों के पदाधिकारी भी चुनावी समीकरण बनाने में जुट गए। हालांकि इस बार सभापति बनने के लिए दावेदारों को कड़ी मशक्कत भी करनी पड़ेगी। किसी भी व्यक्ति के सभापति का चुनाव लड़ सकने के निर्णय के चलते कई दावेदारों में यह आशंका भी है कि पार्टी पैराशूट उम्मीदवार को अवसर नहीं दे दे, अन्यथा पार्षदों से सामन्जस्य बिठाने को लेकर उनकी मेहनत पर पानी न फिर जाए।
बार-बार बदले निर्णय

इस बार निकाय चुनाव को लेकर राज्य सरकार की ओर से निर्णय बदलने से पसोपेश की स्थिति रही है। पहले सरकार ने घोषणा पत्र में 2009 की तरह सभापति का चुनाव सीधे कराने का निर्णय किया, लेकिन इस पर मंथन के बाद बीते सोमवार को पार्षदों के माध्यम से ही निकाय का मुखिया चुनने का निर्णय किया और इसके बाद चौंकाते हुए एक और निर्णय किया कि बिना पार्षद बने भी कोई भी व्यक्ति सभापति का चुनाव लड़ सकेगा।
अब तक रहे अध्यक्ष/सभापति

बीते पांच चुनावों को देखें तो वर्ष 1994 में हुए चुनाव में सामान्य वर्ग से मणिलाल बोहरा, 1999 में सामान्य वर्ग से उमेश पटियात पालिका अध्यक्ष बने। 2004 के चुनाव में अध्यक्ष का पद अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हुआ। कृष्णा कटारा अध्यक्ष बनीं। 2009 में पहली बार सीधे चुनाव हुए, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग से राजेश टेलर अध्यक्ष बने। इसी कार्यकाल में पालिका क्रमोन्नत होकर परिषद बनी तो मुखिया का पद सभापति हो गया। 2014 में सभापति का पद महिला सामान्य के लिए आरक्षित हुआ और मंजूबाला पुरोहित सभापति बनीं। गत पांच चुनावों में दो बार महिलाओं ने कमान संभाली है।
कयासों को लगा विराम

परतापुर. नवगठित परतापुर-गढ़ी नगरपालिका के पहले चुनाव में अध्यक्ष पद अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। इसके साथ ही पिछले कई दिनों से पद को लेकर लगाए जा रहे कयासों को भी विराम लगा। रविवार को दिनभर इसकी चर्चा बनी रही। शाम को अध्यक्ष पद आरक्षित होने के बाद अन्य वर्गाे से जुड़े दावेदार मायूस हो गए। वहीं पालिका परिक्षेत्र में शामिल पूर्व की पंचायतों के सरपंच, प्रधान सहित जनजाति नेताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। अब अध्यक्ष पद के लिए राजनीतिक दल अनुसार नामों को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
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