इन पर गिरी गाज अस्पताल के पीएमओ डॉ वी के जैन, प्रमुख विषेषज्ञ डॉ पी सी यादव, एवं ब्लॉक सीएमएचओ घाटोल डॉ जितेन्द्र बंजारा, नर्सिग कर्मी सुन्दरी वैष्णव, इन्दिरा मईड़ा, सुकली गरासिया व सुन्नी एमटी का निलंबन हुआ है। आरसीएचओ डॉ मनीषा चौधरी, प्रमुख विषेषज्ञ डॉ दिव्या पाठक, डॉ ओ पी उपाध्याय, डॉ जयश्री जैन एवं कनिष्ठ विषेषज्ञ डॉ शालिनी नानावाटी को एपीओ किया गया है। तीन चिकित्सकों डॉ पुष्पा कुमारी चरपोटा, डॉ प्रीतेश जैन व डॉ एम के जैन के विरुद्ध सीसीए नियम 17 के तहत कार्रवाई शुरू की गई है।
पत्रिका ने उठाया था मामलागौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने २९ अगस्त अगस्त के अंक में ‘५३ दिन में ८१ नवजातों की मौत’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में इस मामले का खुलासा किया था। तब इस मामले में उच्च न्यायालय ने भी प्रसंज्ञान लिया। राज्य सरकार हरकत में आई। निदेशक आरसीएच की अगुवाई में जांच दल को जांच के लिए बांसवाड़ा भेजा। जांच दल की सोमवार को रिपोर्ट मिलने के बाद चिकित्सा
मंत्री कालीचरण सराफ के निर्देश पर दोषी पाए चिकित्सा अधिकारियों, चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों पर कार्रवाई की गई।
इन्हें व्यवस्था के लिए लगाया राज्य सरकार ने एम जी अस्पताल में कार्य व्यवस्था के लिए अन्य चिकित्सकों को भी लगाया है। कनिष्ठ विशेषज्ञ गायनिक डॉ दीप्ति चित्रा, एसएमओ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अमित श्रीवास्तव, जेएस गायनिक डॉ बनवारीलाल मीना, एसएस गायनिक डॉ सत्यनारायण चैबीसा, विशेषज्ञ सर्जरी डॉ एमपी शर्मा, एसएमओ डॉ ओपी कुलदीप को पदस्थापित किया है। चिकित्साकर्मी जया अहारी, कीर्ति पठान, दीप्ति सिंह एवं कमला डामोर का जिला अस्पताल के लेबर रूम में पदस्थापन किया है।
सरकार फिर से करे मामले की समीक्षा
सरकार की ओर से इस पूरे मामले में केवल चिकित्सकों को दोषी मानकर कार्रवाई की है जो ठीक नही हैं। चिकित्सक जिम्मेदारी से काम कर रहे हंै, इसके बावजूद दोषपूर्ण कार्रवाई जायज नही हैं। बच्चों के पोषण के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग भी जिम्मेदारहै। एेसे में पूरे मामले की दोबारा जांच कर सरकार को समीक्षा करनी चाहिए।
डॉ. दीपक निनामा, जिलाध्यक्ष अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ