पढ़ाई में मिली राहत
छतरीपाड़ा में ही कालूराम नामक आदिवासी का घर भी सौर ऊर्जा से दमक रहा है। घर पर मौजूद कालूराम की पुत्री भूला से बातचीत की तो उसने बताया कि सबसे बड़ी खुशी यही है कि घर में लाइट आ गई। पहले वैकल्पिक साधनों से रोशनी करने की मजबूरी थी, लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं आ रही है। अब रात में पढ़ाई भी कर सकते हैं। अंधेरे में आने-जाने के दौरान होने वाली समस्या खत्म हो गई। बिजली गुल होने की परेशानी भी नहीं है।
अंधेरे से मिली मुक्ति
इसी गांव की पूंजी देवी ने कहा कि सौर ऊर्जा संयंत्र लगने से फायदा हुआ है। पहले अंधेरे के कारण समस्या थी। कहीं आ-जा नहीं सकते थे। सौर ऊर्जा संयंत्र लगने के बाद पांच ट्यूबलाइट मिली। पंखा मिली। अब रोशनी के कारण रात में आने जाने में समस्या नहीं है। न जीव-जंतु का डर और न ही बिजली गुल होने की समस्या है।
बिजली की बचत भी
ठीकरिया गांव में संदीप त्रिवेदी ने अपने घर पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया है। उसने बताया कि करीब तीन माह पहले लगाए सौर ऊर्जा संयंत्र से हमें बिल नहीं भरना पड़ा। हम सौर ऊर्जा संयंत्र से बिजली की बचत कर विद्युत निगम को बिजली दे रहे हैं। घरेलू बिजली का बिल भी कम देना पड़ता है। हमने बिजली का उपभोग किया है, उतनी ही संयंत्र से तैयार बिजली का यूनिट के हिसाब से बिल मिलता है।
ठीकरिया के ही युवा कृषक रोशन उपाध्याय ने कहा कि चार वर्ष पहले खेत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया था। इसका उपयोग ट्यूबवेल के माध्यम से खेतों में सिंचाई के लिए कर रहे हैं। सौर ऊर्जा की तब लागत अधिक लगी, लेकिन रखरखाव बहुत कम है। यह जीएसएस से मिलने वाली बिजली से कई गुना सस्ता है। खेत में सब्जी सहित अन्य फसलों की सिंचाई के लिए भी सौर ऊर्जा की बिजली का ही उपयोग कर रहे हैं।
आंकड़ों पर नजर
11899 जिले में सौर ऊर्जा विद्युतीकरण का लक्ष्य
9015 घर सौर ऊर्जा से विद्युतीकृत
139 गांव हो रहे लाभान्वित
076 गांव घाटोल उपखंड के
040 गांव जुड़े कुशलगढ़ उपखंड में
023 गांव बांसवाड़ा ग्रामीण उपखंड में
32 हजार रुपए एक लाभार्थी पर व्यय
संयंत्र की प्लेट 200 वॉट की है। लाभार्थी के यहां पांच ट्यूब व एक पंखे सहित कुल 44 वॉट के उपकरण लगाते हैं। इससे कई दिन तक घर रोशन रह सकता है। एक बार प्लेट चार्ज होने के बाद इसका निरंतर उपयोग किया जा सकता है।
हरीश मेघवाल, अधिशासी अभियंता, विद्युत निगम