scriptबांसवाड़ा : बगैर बिल के पान मसाले का धंधा, गड़बड़ी पकड़ी तो व्यापारी पर चलेगा कार्रवाई का ‘डंडा’ | Banswara: Without bill business, if caught a mess in pan masala, actio | Patrika News

बांसवाड़ा : बगैर बिल के पान मसाले का धंधा, गड़बड़ी पकड़ी तो व्यापारी पर चलेगा कार्रवाई का ‘डंडा’

locationबांसवाड़ाPublished: Oct 18, 2019 09:55:13 am

Submitted by:

deendayal sharma

छोटे व्यापारियों के लिए बगैर बिल के पान मसाला का व्यापार अब कभी भी खतरे की घंटी बजा सकता है। वजह यह है कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत यदि उनसे लिए नमूने जांच में हानिकारक पाए गए और प्रतिबंधित श्रेणी में माने गए, तो वे थोक विक्रेता या कंपनी को जिम्मेदार नहीं बता पाएंगे और कार्रवाई सीधे तौर पर उन्हीं पर होगी।

बांसवाड़ा : बगैर बिल के पान मसाले का धंधा, गड़बड़ी पकड़ी तो व्यापारी पर चलेगा कार्रवाई का ‘डंडा’

बांसवाड़ा : बगैर बिल के पान मसाले का धंधा, गड़बड़ी पकड़ी तो व्यापारी पर चलेगा कार्रवाई का ‘डंडा’

बांसवाड़ा. छोटे व्यापारियों के लिए बगैर बिल के पान मसाला का व्यापार अब कभी भी खतरे की घंटी बजा सकता है। वजह यह है कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत यदि उनसे लिए नमूने जांच में हानिकारक पाए गए और प्रतिबंधित श्रेणी में माने गए, तो वे थोक विक्रेता या कंपनी को जिम्मेदार नहीं बता पाएंगे और कार्रवाई सीधे तौर पर उन्हीं पर होगी।अधिनियम के तहत प्रतिबंधित और मिस ब्रांडेड माल के मामले में दुकानदार के साथ थोक करोबारी, डीलर और कंपनी को जिम्मेदार है, लेकिन माल बिना बिल का है तो सीधे दुकानदार पर ही केस बनेगा। अधिनियम के तहत सजा के प्रावधान भी काफी सख्त हैं। उत्पाद सब स्टेंडर्ड होने पर 5 लाख, मिस ब्रांड पर 3 लाख और हानिकारक तत्व पाए जाने पर एक्ट में लंबे कारावास के साथ मोटे जुर्माने के प्रावधान हैं। अब तक यों करते आए हैं धंधा असल में छोटे कारोबारी आमतौर पर बिक्री के लिए पान मसाले सेमी होलसेलर्स से बगैर बिल के लेते रहे हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि सालाना 40 लाख से कम टर्नओवर के कारण वे जीएसटी के दायरे में ही नहीं आते तो बिलिंग का झमेला क्यों करे। फिर माल की खरीद फरोख्त कंपनी के डीलर के जरिए टैक्सपेड है, तो वाणिज्यिक कर विभाग भी तवज्जो नहीं देता। इसी वजह से छोटे व्यापारी बिना बिल के व्यापार की परिपाटी का हाथ थामे हुए हैं, लेकिन अब हानिकारक तत्वों वाले पान मसाले पर नियंत्रण की सरकार की पहल के बाद इस तरह कारोबार उस समय परेशानी का सबब बन जाएगा, नमूने लेकर जांच कराने पर उनमें गड़बड़ी की पुष्टि हो। इसलिए बढ़ा खतरा सरकार ने चिकित्सा विभाग को दुकानों पर बिकने वाले पान मसालों की जांच करवाकर मिस ब्रांडेड या हानिकारक तत्वों से युक्त उत्पादों पर प्रतिबंध की कार्रवाई कराने में जुटाया है। इसके तहत नमूने लेने का सिलसिला चल रहा है। ऐसे प्रतिबंधित माल पकड़ जाने पर बिल हुआ तो इसके आधार पर कार्रवाई कंपनी पर होने का आधार रहेगा। वरना खुद छोटे व्यापारी की गर्दन फंसेगी। लालच पड़ सकता है भारी अब इस कारोबार में सस्ता माल लेकर ज्यादा मार्जिन का लालच कभी भी भारी पड़ सकता है। बगैर बिल का माल लेने में नकली उत्पाद या प्रतिबंधित उत्पाद शामिल करने की गुंजाइश और आशंका ज्यादा रहती है। जांच में धरे गए तो मुश्किल होगी। यहां से आता है माल जिले के दानपुर, पाटन कुशलगढ़, गांगड़तलाई जैसे सीमावर्ती इलाकों में छोटे-बड़े कारोबारी मध्यप्रदेश और गुजरात करीब होने से माल मंगवाते हैं। खर्च बचाकर कमाई के फेर में इन नकली माल के कारोबारियों के लिए संकट ला सकता है। इनका कहना है… खाद्य सुरक्षा अधिकारी बांसवाड़ा अशोक गुप्ता का कहना है कि व्यापारियों को चाहिए कि वे पान मसालों की खरीद पर बिल जरूर लें, वरना गड़बड़ी पर वे अकेले जिम्मेदार माने जाएंगे। अवैध खरीद-फरोख्त पर होगी कार्रवाई वाणिज्यिक कर विभाग उदयपुर की उपायुक्त डा. रौनक बैरागी का कहना है कि बगैर बिल का स्टॉक मिलने और टैक्स चोरी पर विभागीय कार्रवाइयां होगी ही। चालीस लाख से कम के टर्नओवर पर छोटा कारोबारी जीएसटी के दायरे से मुक्त है, लेकिन उनके यहां भी अवैध खरीदफरोख्त के लिए बड़ी खेप होने की सूचना मिलती है या शिकायत आती है, तो एंटीविजन विंग कार्रवाई करेगी।
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