वाकया शकरवाड़ा गांव के 35 वर्षीय रुपाभाई के साथ हुआ। परिजनों ने बताया कि रुपा भोजन के साथ हड्डी का टुकड़ा भी खा गया। टुकड़ा गले से उतर नहीं पाया, तो किसी ने पानी तो किसी ने कुछ और दिया पर हलक से कुछ उतर ही नहीं पाने से बात नहीं बनी। फिर गांव में टोने-टोटके से उपचार करने वाले के पास ले गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
इस बीच, घंटों तक भूखा रहने और पीड़ा के चलते रुपा बेहाल हो गया। बाद में उसे बांसवाड़ा लाना पड़ा। यहां ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. सर्वेश बिसारिया ने जांच के बाद अस्पताल में मौजूदा संसाधनों से हड्डी निकालना मुश्किल होने पर उसे उदयपुर एमबी अस्पताल के लिए रैफर कर दिया।