बांसवाड़ा

बीएपी ने 22.41 वोट हासिल कर बिना कोई सीट जीते किया उलटफेर

बांसवाड़ा. बदलाव के जनादेश के बीच राजस्थान के एकमात्र बांसवाड़ा जिले के मतदाताओं ने कांग्रेस को पांच में से चार सीटें देकर अलग नजरिया प्रदर्शित किया है। जै गुरु के साथ अभिवादन की परंपरा में सर्वाधिक 83 फीसदी मतदान कर चौंकाते हुए जिले ने दोनों बड़ी पार्टियों की जै-जै की है। यहां मतदाताओं ने भाजपा को भी सिरे से खारिज नहीं किया, वही नए उभरे विकल्प बीएपी को भी तवज्जो दी। नतीजे में करीब ओवरऑल सात फीसदी मतों के अंतर से मुकाबला कांग्रेस के पक्ष में गया, वहीं भाजपा एकमात्र गढ़ी सीट से लाज बचा पाई।

बांसवाड़ाDec 05, 2023 / 01:00 pm

mradul Kumar purohit

राजस्थान का रण

बांसवाड़ा. बदलाव के जनादेश के बीच राजस्थान के एकमात्र बांसवाड़ा जिले के मतदाताओं ने कांग्रेस को पांच में से चार सीटें देकर अलग नजरिया प्रदर्शित किया है। जै गुरु के साथ अभिवादन की परंपरा में सर्वाधिक 83 फीसदी मतदान कर चौंकाते हुए जिले ने दोनों बड़ी पार्टियों की जै-जै की है। यहां मतदाताओं ने भाजपा को भी सिरे से खारिज नहीं किया, वही नए उभरे विकल्प बीएपी को भी तवज्जो दी। नतीजे में करीब ओवरऑल सात फीसदी मतों के अंतर से मुकाबला कांग्रेस के पक्ष में गया, वहीं भाजपा एकमात्र गढ़ी सीट से लाज बचा पाई।
इस चुनाव में खास बात यह भी कि यहां गहलोत सरकार के विकास कार्यों के साथ मोदी मैजिक भी चला, लेकिन हार-जीत का अंतर पहली दफा मैदान में आई भारतीय आदिवासी पार्टी से हुई, जो एक भी सीट जीत नहीं पाने पर भी अप्रत्याशित रूप से 22 फीसदी से ज्यादा वोट बटोरने में कामयाब रही। हालांकि बीटीपी और निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी वोट काटे, लेकिन वे प्रभावशाली नहीं रहे। अब चूंकि मतदाताओं ने भाजपा को भी पूरी तरह दरकिनार नहीं किया है। अगले साल लोकसभा चुनाव है, इसलिए तय है कि क्षेत्रीय विकास की अनदेखी नहीं होगी, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में एकमात्र जिले में दबदबा बरकरार रखने पर कांग्रेस के विधायकों से भी हमारी सरकार नहीं, इसलिए काम नहीं हो पा रहे, जैसे जुमले नहीं मिलेंगे। इससे बांसवाड़ावासी दोनों हाथ में लड्डू होने से फायदे में रहने के आसार हैं।
बांसवाड़ा में एक से भी कम, बागीदौरा में सर्वाधिक 18.74 प्रतिशत वोट का रहा फासला
वोट प्रतिशत के हिसाब से स्थिति देखें तो बांसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 27 हजार 674 यानी 81.03 फीसदी मतदान में कांग्रेस के अर्जुन बामणिया को 93 हजार 17 यानी 40.85 फीसदी वोट मिले। उन्होंने 1400 वोट से जीत पाई, लेकिन इनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के धनसिंह रावत ने भी 40.24 फीसदी यानी 91 हजार 617 वोट हासिल किए। यह 0.61 फीसदी का अंतर बीएपी के हेमंत राणा की कांग्रेस के मुकाबले भाजपा के क्षेत्रों में ज्यादा सेंध लगाने से आया। कुल वोटिंग का 15.22 हिस्सा यानी 34 हजार 666 वोट लेकर बीएपी ने झटका दे दिया।
दूसरी ओर, बागीदौरा क्षेत्र में 2 लाख 20 हजार 722 यानी 83.38 प्रतिशत वोटिंग में कांग्रेस के दिग्गज महेंद्रजीतसिंह मालवीया को 1 लाख 1 हजार 742 मतलब 46.09 फीसदी वोट मिले, तो बीएपी से जयकृष्ण पटेल ने 27.35 वोट बटौर लिए। उनके 60 हजार 387 वोट पाने से भाजपा प्रत्याशी कृष्णा कटारा के मतों का आंकड़ा 45 हजार 140 यानी 20.45 प्रतिशत पर सिमट गया। बीएपी ने कुल 41 हजार 355 यानी 18.74 फीसदी ज्यादा हासिल कर भाजपा को तीसरे नंबर पर धकेल दिया।
घाटोल में भी अंतर कम, कुशलगढ़ में सीधी मात
उधर, घाटोल विधानसभा के क्षेत्र में 2 लाख 40 हजार 171 यानी 85.35 यानी वोट पड़े। इनमें कांग्रेस के नानालाल निनामा को ने 88 हजार 335 मत यानी 36.78 प्रतिशत वोट हासिल किए, तो पूर्व सांसद मानशंकर निनामा को 55 हजार 537 यानी 23.20 वोट मिले। हालांकि इनके बीच, बीएपी के अशोक कुमार के दमखम दिखाते हुए 84 हजार 644 यानी 35.24 फीसदी वोट हासिल कर लिए, जिससे निनामा 3 हजार 691 मतों से जीत दर्ज कर पाए। उधर, कुशलगढ़ में कांग्रेस की रमीला खडिय़ा ने 9 हजार 804 वोट वोट के अंतर से जीत पाई, उसमें कुशलगढ़ क्षेत्र में सर्वाधिक पड़े 88.13 फीसदी यानी 2 लाख 33 हजार 432 वोट में से खडिय़ा ने 41.75 प्रतिशत यानी 97 हजार 480 वोट हासिल किए। इससे भाजपा के भीमाभाई 87 हजार 676 वोट यानी 37.55 लेने के बाद भी दूसरे पायदान पर रह गए, वहीं बीएपी की सेंध से पहली बार चुनाव लड़े राजेंद्र 33 हजार 758 यानी 14.46 वोट लेने में सफल रहे।
गढ़ी में भाजपा को पूरी मिली तवज्जो, इसलिए मिली जीत
भाजपा की झोली में गई जिले की एकमात्र गढ़ी सीट पर दूसरी दौर में भी कैलाश मीणा प्रभावी रहे। हालांकि क्षेत्र में कुल मतदान 2 लाख 24 हजार 436 यानी 77.57 प्रतिशत ही हुआ, लेकिन 87 हजार 392 वोट यानी 38.93 फीसदी वोट लेकर उन्होंने 15 हजार 107 वोट फतह हासिल की। उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के शंकरलाल चरपोटा 72 हजार 285 यानी 32.20 प्रतिशत वोट ही ले पाए, जबकि तीसरे नंबर पर बीएपी से मणिलाल गरासिया ने 43 हजार 525 यानी 20.28 वोट हासिल कर कांग्रेस के लिए नुकसानदेय साबित हुए।
वर्षों से रहा है तीसरे का प्रभाव
बीते वर्षों का रेकॉर्ड देखें तो गोविंद गुरु के अनुयायी मामा बालेश्वर दयाल के बीजारोपण से एक समय जनता दल के प्रभाव से यहां मुकाबला कांग्रेस से रहने के बाद 2003 से भाजपा तीसरा विकल्प बनी। फिर भाजपा के बढ़ते असर से जनता दल सिमटा, तो तो बीटीपी आई और जल्द ही उससे मोहभंग पर नवोदित बीएपी ने अपने पहले ही चुनाव में दोनों प्रमुख दलों के आदिवासी वोट बैंक को हिला दिया है। बावजूद इसके, नतीजों में कांग्रेस का जन जुड़ाव उजागर हुआ, तो मतदाताओं ने यहां भाजपा की पूरी तरह अनदेखी भी नहीं की है।
जिलेभर की गणित
कुल मतदाता -13 लाख 81 हजार 319
कुल वोटिंग – 11 करोड़ 46 हजार 319
रेकॉर्ड प्रतिशत – 83 फीसदी
कांग्रेस को वोट 4 लाख 50 हजार 859
प्राप्त प्रतिशत 39.50
भाजपा -3 लाख 67 हजार 362
प्राप्त प्रतिशत – 32.04 प्रतिशत
बीएपी 2 लाख 6 हजार 980
प्राप्त प्रतिशत -22.41

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