बांसवाड़ा. वन विभाग के तत्वावधान में पक्षी गणना कार्यक्रम शनिवार से शुरू हुआ। इस दौरान जलाशयों में परिन्दों की अटखेलियों ने पक्षी गणना के लिए नियुक्त दल के सदस्यों का मन मोह लिया, वहीं बड़ी संख्या में देखे गए देशी-विदेशी परिन्दों ने जिले की नैसर्गिक समृद्धता के दिग्दर्शन कराए। उप वन संरक्षक अमरसिंह गोठवाल ने बताया कि शनिवार को माहीबांध के बैकवाटर (गेमन पुल) और कागदी पिकअप वियर से पक्षी गणना आरंभ हुई।
माही के बैकवाटर में वागड़ पर्यावरण संस्थान के पदाधिकारियों ने सुबह 6.30 बजे से पक्षी गणना का कार्य प्रारम्भ किया। संस्थान अध्यक्ष डा. दीपक द्विवेदी ने बताया कि माही बैकवाटर एरिया में समुद्री पक्षी लेसर ब्लैक बेक्डगल तथा व्हिस्कर्ड व रिवर टर्न के बीच मछली के शिकार को लेकर संघर्ष को देखकर टीम रोमांचित हो उठी। उन्होंने बताया कि पहले दिन 49 प्रकार की प्रजातियों के परिन्दों के दीदार हुए। यहां कॉमन पोचार्ड का बड़ा गु्रप देखा गया।
नॉर्दन पिनटेल, यूरेशियन विजन, रडी शेलडक, मार्श सेण्डपाइपर, नॉर्दन शॉवलर, व्हेगटेल्स प्रजातियां, ब्लैक टेल्ड गोडविट, कॉमन रेडशेंक, लिटल स्टीन्ट के साथ देशी परिन्दे डार्टर, क्रो फिजन, लिटल व ग्रेट कॉरमोरेन्ट, ग्रे होर्न बिल, ओपन बिल स्टॉर्क, पेण्टेड स्टॉर्क आदि परिन्दों की गणना की। इस दौरान क्षेत्रीय वन अधिकारी वीरेंद्र सुखवाल, संस्थान के यश सर्राफ, लखन खंडेलवाल व कपिल पुरोहित, वनपाल राजेन्द्र सिंह सोलंकी, सहायक वनपाल इन्द्रपाल शर्मा व सुधा मेहता, केटल गार्ड रमेश का सहयोग प्राप्त हुआ।
कागदी पिक-अप वियर पर सहायक निदेशक कमलेश शर्मा के साथ दिनेश जैन, भंवरलाल गर्ग ने गणना का कार्य किया। यहां पर स्थानीय पक्षियों में ग्लोसी आईबिस 2800, कॉर्मोरेंट 1400, लिटिल कॉर्मोरेंट 1600, केटल ईग्रेट 15, लिटिल ईग्रेट 520, लार्ज ईग्रेट 25, व्हाइट ब्रेस्टेड वाटरहेन 15, कॉमन कूट्स 2300 देखी गई। यूरोप और उत्तरी एशिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों में कॉमन पोचार्ड 160 और टफटेड पोचार्ड 235 की संख्या में दर्ज की गई। इस दौरान रेंजर वीरेन्द्र सुखवाल व पक्षी प्रेमी मौजूद थे। उदयपुर के पक्षी विशेषज्ञ विनय दवे ने कागदी में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी कॉमन पोचार्ड और टफटेड पोचार्ड की उपस्थिति पर बताया कि यह गहरे और मीठे पानी में रहने वाला पक्षी है। इसकी संख्या अन्य प्रजातियों की संख्या के अनुरूप या ज्यादा है तो पानी शुद्ध और पीने लायक है। इस पक्षी की उपस्थिति जलाशय के प्रदूषण मुक्त होने का भी संकेत है।
इधर, पक्षी गणना के संयोजक पक्षी विशेषज्ञ मनोज कुलश्रेष्ठ ने बताया कि प्रदेश में पक्षी गणना शुरू हो गई है। प्रत्येक जिले से गणना की जानकारी मिलनी भी शुरू हो गई है। इस गणना से भविष्य में परिन्दों के संरक्षण पर कार्ययोजना बनाने में मदद मिलेगी।