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बिल दिया नहीं और लेम्प्स व्यवस्थापकों ने कर दिया भुगतान, बिना निविदा के बाजार मूल्य से अधिक दर पर खरीदे लेपटॉप!

locationबांसवाड़ाPublished: Aug 23, 2019 04:08:26 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

सीसीबी के एमडी पर भी दबाव बनाने का आरोप

बिल दिया नहीं और लेम्प्स व्यवस्थापकों ने कर दिया भुगतान, बिना निविदा के बाजार मूल्य से अधिक दर पर खरीदे लेपटॉप!

बिल दिया नहीं और लेम्प्स व्यवस्थापकों ने कर दिया भुगतान, बिना निविदा के बाजार मूल्य से अधिक दर पर खरीदे लेपटॉप!

बांसवाड़ा. जिले में केंद्रीय सहकारी बैंक के अधीन संचालित कम्प्यूटरविहीन लेम्प्स में बिना निविदा के लेपटॉप व प्रिंटर बाजार दर से अधिक कीमत में खरीदे जाने का मामला सामने आया है। इसमें सात हजार रुपए अतिरिक्त सामग्री के लिए भी लिए जा रहे हैं, जबकि यह सामग्री लेम्प्स कार्यालयों में नहीं पहुंची है। मामले में बैंक के प्रबंधक पर दबाव बनाने के भी आरोप लगाए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार जिन लेम्प्स में कम्प्यूटर नहीं है, वहां के व्यवस्थापकों को बुलाकर लेपटॉप व प्रिंटर दिया जा रहा है और भुगतान की राशि मौखिक बताई जा रही है। कई व्यवस्थापक 54 हजार 250 रुपए का भुगतान कर रहे हैं, जबकि बाजार में इसकी दर करीब साढ़े 42 हजार रुपए है। बताया जाता है कि लेपटॉप व प्रिंटर के लिए 50 हजार रुपए समिति के बचत खाते से क्रेडिट होंगे और 54 हजार 250 रुपए वापस डेबिट होंगे। इसके अतिरिक्त सात हजार रुपए व्यवस्थापक से अलग से लिए जा रहे हैं, जिसका बिल नहीं दिया जा रहा है।
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प्रबंध निदेशक पर लगाए आरोप
लेम्प्स नवागांव के अध्यक्ष व ग्रामीणजनों ने प्रबंध निदेशक ललित मीणा पर पद का दुरूपयोग करने के आरोप लगाते हुए जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा है। इसमें बताया कि प्रबंध निदेशक की ओर से समितियों एवं बैंक को आर्थिक नुकसान पहुंचाकर भष्ट्राचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। ज्ञापन में आरोप है कि गोदाम निर्माण कार्य की प्रत्येक किस्त जारी करने के आदेश के लिए अवैध मांग की जा रही है। जिन समितियों मे कम्प्युटर नहीं हैं, वहां के व्यवस्थापक को कार्यालय बुलाकर लेपटॉप खरीदने के लिए प्रार्थना पत्र लिखवाया जा रहा है। उसके बाद लेपटॉप व प्रिन्टर दिया जा रहा है।
एफडी तोडऩे का दबाव
ज्ञापन में मीणा पर आरोप है कि समितियों के पक्ष में जमा एफडीआर तोडऩे का भी दबाव बनाया जा रहा है। कई समितियों में एफडीआर तोड़ी गई है। इसके अतिरिक्त मार्जिन मनी की स्वीकृति, समितियों के बचत खाते में लाभांश की राशि ट्रांसफर करने में अवैध रूप से राशि मांगने का भी आरोप लगाया है। साथ ही बिना वजह लेम्प्स व्यवस्थापकों के लेन-देन के अधिकार समाप्त करने, अन्य व्यवस्थापकों को नियुक्ति देने की शिकायत पर भी कार्रवाई की मांग की गई है।
इनका कहना है
लेपटॉप व प्रिंटर की खरीद पर 50 हजार रुपए पुनर्भरण के ही पावर हैं। एफडीआर खाताधारक की सहमति के बगैर कैसे तोड़ी जा सकती है। आरोप निराधार है। ऋण माफी के मामले की जांच को दबाने के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
ललित मीणा, प्रबंध निदेशक केन्द्रीय सहकारी बैंक

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