दल सम्पूर्ण स्थिति साफ होने के बाद आगामी एक दो दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है। इसके बाद ही गड़बड़ी किस स्तर पर हुई या दल कुछ पता नहीं लगा सका यह स्पष्ट होगा। उल्लेखनीय है कि 50-50 किलोग्राम गेहंू से भरे 350 कट्टे राशन की दुकान पर सप्लाई किए गए थे। यह गेहंू 2 रुपए किलो गरीबों को वितरित किया जाना था। इसमें15 कट्टों में 15 से 20 किलो तक बड़े-बड़े पत्थर मिले थे।
पहले कम वजन की शिकायतें
एफसीआई की ओर से डीलरों तक पहुंचने वाले गेहंू में कम वजन की शिकायतें पूर्व में कई बार सामने आई हैं। साथ ही खराब गेहंू, कंकर व कचरा अधिक होने जैसे भी मामले उजागर होते रहे हैं, लेकिन 15-20 किलो वजनी पत्थर निकलने का संभवत यह पहला मामला है।
एफसीआई की ओर से डीलरों तक पहुंचने वाले गेहंू में कम वजन की शिकायतें पूर्व में कई बार सामने आई हैं। साथ ही खराब गेहंू, कंकर व कचरा अधिक होने जैसे भी मामले उजागर होते रहे हैं, लेकिन 15-20 किलो वजनी पत्थर निकलने का संभवत यह पहला मामला है।
इससे उठेगा पर्दा
50 किलो के गेहंू के कट्टे में 15 से 20 किलो पत्थर वह भी बड़े आकार निकलना अचरज व संदेह भरा रहा। बड़े आकार का पत्थर होने के बाद भी किसी को पता नहंी चला। किसान से गेहंू खरीदी के समय तोलने से लेकर एफसीआई के गोदाम तक पहुंचना और फिर वहां से एजेंसी और फिर डीलर की दुकान। ऐसे में कई हाथों से यह कट्टे गुजरे। किसी ने शिकायत नहीं की और न पकड़ में आया। मिलीभगत हुई या कुछ मजदूरों ने अपने स्तर पर गड़बड़ी कर दी।
50 किलो के गेहंू के कट्टे में 15 से 20 किलो पत्थर वह भी बड़े आकार निकलना अचरज व संदेह भरा रहा। बड़े आकार का पत्थर होने के बाद भी किसी को पता नहंी चला। किसान से गेहंू खरीदी के समय तोलने से लेकर एफसीआई के गोदाम तक पहुंचना और फिर वहां से एजेंसी और फिर डीलर की दुकान। ऐसे में कई हाथों से यह कट्टे गुजरे। किसी ने शिकायत नहीं की और न पकड़ में आया। मिलीभगत हुई या कुछ मजदूरों ने अपने स्तर पर गड़बड़ी कर दी।