हाल ही समीक्षा में सामने आया कि प्रदेश में मई के अंत तक 6 हजार 622 मामले हेल्पलाइन पर मनरेगा से जुड़े प्रकरणों के ही लंबित हैं, जिन्हें लेवल एक पर भेजा जा रहा है, जबकि इनका निस्तारण पहले ही इस लेवल पर हो जाना चाहिए था। इस स्थिति को देखते हुए ईजीएस के परियोजना निदेशक ने सभी जिला कार्यक्रम समन्वयकों और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को चेताया है कि प्रकरणों का तय समय सीमा में निस्तारण करें, अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए तैयार रहें। गौरतलब है कि लेवल एक और दो पर कार्रवाई नहीं हो रही है और नियमानुसार लेवल तीन पर प्रकरण का निस्तारण लेवल एक व दो से प्रकरण के संबंध में प्राप्त टिप्पणी के आधार पर ही होता है।
हेल्पलाइन पर बाड़मेर के सर्वाधिक 1046 प्रकरण लंबित हैं। इसके अतिरिक्त जयपुर के 535, बीकानेर के 451, अलवर के 324 व भरतपुर के 309 मामलों का निस्तारण नहीं हुआ है। जबकि एक वर्ष से अधिक पुराने लंबित मामलों में जयपुर के सबसे ज्यादा 68, बाड़मेर के 55, करौली के 38, जोधपुर के 28 व झालावाड़ के 24 मामले सम्मिलित हैं।