मनरेगा में ग्राम स्तरीय कार्मिकों की ओर से जॉबकार्ड नहीं देने, निर्माण कार्यों में अनियमितता बरतने, गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग कर निर्माण करने, निर्माण नहीं करने के बावजूद फर्जी तरीके से कार्य पूर्ण बताकर राशि हड़प करने जैसे प्रकरण बांसवाड़ा सहित अन्य जिलों में भी सामने आते रहे हैं। इन प्रकरणों में जिला स्तर पर प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में सीधे राजस्थान संपर्क हेल्पलाइन को शिकायतें भेजी जा रही हैं, ताकि उच्चाधिकारियों के दबाव में ऐसे मामलों की जांच हो सके। इससे प्रदेश स्तर पर लंबित प्रकरणों की संख्या हजारों में पहुंच गई है।
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हाल ही समीक्षा में सामने आया कि प्रदेश में मई के अंत तक 6 हजार 622 मामले हेल्पलाइन पर मनरेगा से जुड़े प्रकरणों के ही लंबित हैं, जिन्हें लेवल एक पर भेजा जा रहा है, जबकि इनका निस्तारण पहले ही इस लेवल पर हो जाना चाहिए था। इस स्थिति को देखते हुए ईजीएस के परियोजना निदेशक ने सभी जिला कार्यक्रम समन्वयकों और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को चेताया है कि प्रकरणों का तय समय सीमा में निस्तारण करें, अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए तैयार रहें। गौरतलब है कि लेवल एक और दो पर कार्रवाई नहीं हो रही है और नियमानुसार लेवल तीन पर प्रकरण का निस्तारण लेवल एक व दो से प्रकरण के संबंध में प्राप्त टिप्पणी के आधार पर ही होता है।
हाल ही समीक्षा में सामने आया कि प्रदेश में मई के अंत तक 6 हजार 622 मामले हेल्पलाइन पर मनरेगा से जुड़े प्रकरणों के ही लंबित हैं, जिन्हें लेवल एक पर भेजा जा रहा है, जबकि इनका निस्तारण पहले ही इस लेवल पर हो जाना चाहिए था। इस स्थिति को देखते हुए ईजीएस के परियोजना निदेशक ने सभी जिला कार्यक्रम समन्वयकों और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को चेताया है कि प्रकरणों का तय समय सीमा में निस्तारण करें, अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए तैयार रहें। गौरतलब है कि लेवल एक और दो पर कार्रवाई नहीं हो रही है और नियमानुसार लेवल तीन पर प्रकरण का निस्तारण लेवल एक व दो से प्रकरण के संबंध में प्राप्त टिप्पणी के आधार पर ही होता है।
इन जिलों में सर्वाधिक मामले लंबित
हेल्पलाइन पर बाड़मेर के सर्वाधिक 1046 प्रकरण लंबित हैं। इसके अतिरिक्त जयपुर के 535, बीकानेर के 451, अलवर के 324 व भरतपुर के 309 मामलों का निस्तारण नहीं हुआ है। जबकि एक वर्ष से अधिक पुराने लंबित मामलों में जयपुर के सबसे ज्यादा 68, बाड़मेर के 55, करौली के 38, जोधपुर के 28 व झालावाड़ के 24 मामले सम्मिलित हैं।
हेल्पलाइन पर बाड़मेर के सर्वाधिक 1046 प्रकरण लंबित हैं। इसके अतिरिक्त जयपुर के 535, बीकानेर के 451, अलवर के 324 व भरतपुर के 309 मामलों का निस्तारण नहीं हुआ है। जबकि एक वर्ष से अधिक पुराने लंबित मामलों में जयपुर के सबसे ज्यादा 68, बाड़मेर के 55, करौली के 38, जोधपुर के 28 व झालावाड़ के 24 मामले सम्मिलित हैं।