चतुर्ग्रही योग का प्रभाव : – ज्योतिष मार्तंड पं. करुणाशंकर जोशी के अनुसार चतुग्र्रही योग बनने के कारण देश की राजनीति में अस्थिरता और जनता के बीच वैचारिक मतभेद बढ़ेंगे। साथ ही कुछ वर्गों में असंतोष पैदा हो सकता है, जो एक हिंसक रूप भी ले सकता है, क्योंकि भारत के दशा पैटर्न में मंगल है जैसा कि मंगल प्रत्यांतर दशा का स्वामी (चंद्रमा-बृहस्पति-मंगल) है और वर्तमान शांति संतुलन को द्वितीय भाव में राहु की उपस्थिति प्रभावित कर सकती है। साथ ही यह योग धनु राशि में बनने के कारण अशांति का माहौल पैदा करने की संभावना को बढ़ाती है। चोरी, तस्करी, ठगी की घटनाएं बढ़ेगी। अच्छी बात यह है कि भारत ऐसी परिस्थितियों पर काबू रखने के लिए तैयार होगा और धीरे-धीरे शांति कायम हो जाएगी। चतुग्र्रही योग के कारण प्राकृतिक आपदाएं आने की और कुछ क्षेत्रों में बारिश और आंधी की संभावनाएं पैदा हो सकती हैं। उत्तर भारत में भीषण ठंड और वायु प्रदूषण का प्रकोप भी पैदा हो सकता है। वहीं इसके शुभ प्रभाव के चलते क्रय शक्ति में वृद्धि होगी और सोने और हीरे के व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी। शनि के धनु में प्रवेश करने की वजह से जनता को न्याय प्रणाली में विश्वास भी पैदा होगा। धनु में गुरु की उपस्थिति धर्म व शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम देने वाली होगी।
चतुर्ग्रही योग का राशियों पर असर : – पं.रवि शर्मा के मुताबिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब जब चतुग्र्रही योग बनता है तो इसका शुभ अशुभ फल का असर सभी राशियों पर होता है। धनु राशि में दो क्रूर व दो शुभता देने वाले ग्रहों के रहने से मिला जुला असर रहेगा। मेष, कर्क, वृश्चिक, कुंभ राशि के जातकों के लिए शुभता देने वाला रहेगा वहीं सिंह, कन्या, तुला और मीन राशि के लिए मिश्रित फल देने वाला रहेगा। लेकिन वृषभ, मिथुन, धनु और मकर राशि के जातकों के लिए चतुग्र्रही योग अनुकूल नहीं रहेगा। संकटों से बचने के लिए सभी राशि के जातक इस योग के दौरान शिव और शनि की आराधना करनी चाहिए। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग का अभिषेक पंचामृत से करें और प्रत्येक शनिवार को गरीबों को इमरती खिलाएं।