महात्मा गांधी अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. हरीश लालवानी ने बताया कि इन दिनों सबसे जरूरी है कि दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक धूप में निकलने से बचें। यदि बेहद आवश्यक हो तो ही धूप में निकलें। और निकलते समय टोपी, चश्मा आदि का इस्तेमाल करें। ताकि गर्म हवा और सूर्य की अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचाव हो सके। लेकिन इस बात का अवश्य ख्याल रखें कि सस्ते चश्मों का उपयोग न करें। ऐसे चश्में का उपयोग करें जो परा बैगनी किरणों को रोकने में सक्षम हों।
बांसवाड़ा शहर और ग्रामीण इलाकों में रोजाना इन चश्मों की खूब बिक्री है। दुकानदारों ने बताया कि शहर और गांवों की दुकानों में 50 रुपए से 150 रुपए तक की कीमत के चश्मे प्रतिदिन 800 से हजार बिकते हैं।
दरअसल, बाजार में 50 से 150 और 200 रुपए में मिलने वाले चश्मे प्लास्टिक शीट को मोल्ड कर बना दिए जाते हैं। इसमें न तो कोई गुणवत्ता देखी जाती है और न ही आंखों की सुरक्षा का ख्याल रखा जाता है। प्लास्टिक के ये चश्मे धूल मिट्टी को तो आंख में जाने से रोक लेते हैं, लेकिन सूर्य की पराबैंगनी (अल्ट्रा वॉयलेट) किरणों को रोकने में सक्षम नहीं होते। इस कारण सूर्य की ये किरणें आंखों को काफी नुकसान पहुंचाती है जो आंखों की कॉर्निया और रेटीना को नुकसान पहुंचाती है।
सस्ते चश्मों का उपयोग न करें
दिनभर में आंखों को तीन से चार बार ठंडे पानी से धोयें
विटामिन ए युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें
आंखों में जलन होने पर चिकित्सक से संपर्क करें
आम अच्छा विटामिन ए का स्त्रोत है खाना काफी फायदेमंद होता है
आंखों को यह होती है परेशानी
बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन
आखों में ललाई होने लगती है
धुुंधलापन व खुजली
मोतियाबिंद और मांस बढऩे की बीमारी हो सकती है