रेल चले तो हो विकास आदिवासी बहुल क्षेत्र बांसवाड़ा जिले में विकास की गति अभी मंथर है। जिले के विकास की पटरी नहीं दौड़ने के पीछे मुख्य कारण यहां रेलवे सेवा का संचालन नहीं होना है। डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना अधर में है, केन्द्र व राज्य सरकार के बीच तालमेल नहीं होने से बांसवाड़ा को रेल ही नसीब नहीं हो सकी है।
मेडिकल कॉलेज की सरकार लें सुध
बांसवाड़ा में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए गत 30 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल शिलान्यास किया था। 260 करोड़ की लागत से प्रस्तावित कॉलेज भवन का निर्माण कार्य अभी मंथर गति से चल रहा है। ऐसे में यहां मेडिकल की पढ़ाई एक साल भी शुरू होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।
बांसवाड़ा में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए गत 30 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल शिलान्यास किया था। 260 करोड़ की लागत से प्रस्तावित कॉलेज भवन का निर्माण कार्य अभी मंथर गति से चल रहा है। ऐसे में यहां मेडिकल की पढ़ाई एक साल भी शुरू होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।
गुजरात रैफर हो रहे मरीज मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं होने से जिला चिकित्सालय महात्मा गांधी होस्पिटल भी चिकित्सा सुविधाओं को तरस गया है। सुपर स्पेशलिस्ट रोग विशेषज्ञ नहीं है। कैथ लैब समेत शल्य चिकित्सा एवं जांच के आधुनिक संसाधन व मशीनें नहीं है। यहां गंभीर रोग से ग्रस्त रोगों को गुजरात व अन्य जिलों को ही रैफर किया।
बांसवाड़ा को चाहिए परमाणु घर
बांसवाड़ा में न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड की ओर से स्थापित होने वाला परमाणु बिजलीघर सरकारी फाइलों से बाहर ही नहीं निकल पाया है। सरकार ने कटुम्बी, रेल, बारी, सजवानिया, आड़ीभीत और खाण्डियादेव में 665 हैक्टेयर भूमि अवाप्त भी कर रखी है। शिलान्यास भी हो चुका है। लेकिन सतही रूप से कुछ भी धरातल पर नहीं आ सका है।
बांसवाड़ा में न्यूक्लियर पावर कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड की ओर से स्थापित होने वाला परमाणु बिजलीघर सरकारी फाइलों से बाहर ही नहीं निकल पाया है। सरकार ने कटुम्बी, रेल, बारी, सजवानिया, आड़ीभीत और खाण्डियादेव में 665 हैक्टेयर भूमि अवाप्त भी कर रखी है। शिलान्यास भी हो चुका है। लेकिन सतही रूप से कुछ भी धरातल पर नहीं आ सका है।
हजारों की भीड़, लेकिन सुविधा नहीं जिला पर्यटन के अपार स्रोत एवं स्थल है, लेकिन यहां सुविधा नहीं है। माता त्रिपुरा सुंदरी व मानगढ़ धाम में हजारों श्रद्धालु आते है, लेकिन इनके ठहराव के लिए अच्छी होटलें, पर्यटन केन्द्र नहीं है। सरकार भी सुध नहीं ले रही है। यहां तक पहुंचने के लिए भी सड़कें सहज नहीं है। मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की योजना भी कागजी रही है।
यह व्यवस्था भी सुधरें
जिला मुख्यालय पर मिनी सचिवालय के निर्माण, जर्जर कलक्ट्रेट भवन को ध्वंस्त करने, कृषि उपज मंडी को खोलने, हवाई पट्टी का विस्तार, स्टेडियम का निर्माण, पर्यटन स्थलों का विकास, कुशलबाग का काया पलट, रोडवेज बस स्टैंड का आधुनिकीकरण्, माही परियोजना क्षेत्र का सौंदर्यीकरण एवं सुद्ढ़ीकरण, पंचायत एवं स्कूलों के जर्जर भवन, शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार, जिला होस्पिटल भवन का जीर्णोद्धार आदि ऐसी जरूरत है, जिन्हें जल्द पूरा नहीं किया गया तो शहर व जिले में विकास की गाड़ी अटक कर ही रह जाएगी।
जिला मुख्यालय पर मिनी सचिवालय के निर्माण, जर्जर कलक्ट्रेट भवन को ध्वंस्त करने, कृषि उपज मंडी को खोलने, हवाई पट्टी का विस्तार, स्टेडियम का निर्माण, पर्यटन स्थलों का विकास, कुशलबाग का काया पलट, रोडवेज बस स्टैंड का आधुनिकीकरण्, माही परियोजना क्षेत्र का सौंदर्यीकरण एवं सुद्ढ़ीकरण, पंचायत एवं स्कूलों के जर्जर भवन, शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार, जिला होस्पिटल भवन का जीर्णोद्धार आदि ऐसी जरूरत है, जिन्हें जल्द पूरा नहीं किया गया तो शहर व जिले में विकास की गाड़ी अटक कर ही रह जाएगी।