बांसवाड़ा

बांसवाड़ा में मनरेगा का सच- मस्टररोल में बड़ों के नाम, कार्यस्थलों पर बच्चों से काम, देखें वीडियो…

MGNREGA WORK IN BANSWARA : पत्रिका पड़ताल- कई कार्यस्थलों पर बाल श्रमिक एवं एवजी कर रहे कार्य

बांसवाड़ाMay 30, 2020 / 04:28 pm

Varun Bhatt

बांसवाड़ा में मनरेगा का सच- मस्टररोल में बड़ों के नाम, कार्यस्थलों पर बच्चों से काम, देखें वीडियो…


वरूण भट्ट/ दिनेश तंबोली/ बांसवाड़ा. राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में रोजगार के आंकड़ेबाजी में बड़ी गड़बड़ी सामने आई हैं। जनजाति बाहुल बांसवाड़ा जिले के कई गांवों में मस्टररोल में माता-पिता का नाम एवं मौके पर बच्चे काम करते मिले। इतना ही नहीं कुछ महिलाएं भी एवजी कार्यस्थलों पर काम करती देखी गई। राजस्थान पत्रिका ने ग्राम पंचायतों में मनरेगा कार्यस्थलों की पड़ताल की तो कुछ ऐसी ही सच्चाई सामने आई हैं। योजना के इस हाल से प्रशासनिक एवं ग्राम स्तर पर मॉनिटरिंग पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
बच्चे बोले- मम्मी-पापा घर पर है
ग्राम पंचायत कटूम्बी के गांव आडीभित में नाला उपचार के कार्य में कक्षा सातवीं में अध्ययनरत अजय एवं 15 वर्षीय बालक महावीर माता-पिता की एवज में कार्य कर रहे थे। यहीं पर बालिका कल्पना अपने भाई नारायण की एवज में काम पर पहुंची थी। विशेष योग्यजन माता-पिता के बदले सातवीं में अध्ययनरत रीना काम करती मिली। मेट प्रभुलाल ने भी बच्चों के कार्य को स्वीकारते हुए कहा कि भाई, माता-पिता की एवज में 9 बच्चे कार्यस्थल पर आए थे। ग्राम पंचायत नापला के काचलापाड़ा में 120 श्रमिकों के मुकाबले 90 मौजूद थे। यहां कुछ श्रमिक एवजी थे। कार्यस्थल रमिला अपनी मां के बदले, एक महिला अपने परिजन की एवज में कार्य करने पहुंची थी। ग्यारहवीं में अध्ययनरत महेश भी पिता की एवज में काम कर रहा था। काचलापाड़ा के मेट शंकरलाल मईड़ा का कहना था कि मस्टररोल में जिनका नाम हैं, वे नहीं आए है। उनकी एवज में अन्य लोग आए थे तो विशेष कारणों से उन्हें काम करने दिया।
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