scriptबांसवाड़ा : मोक्षधाम के एनिकेट में डुबकी लगाने को मजबूर, नौनिहाल भी सीख रहे तैराकी के गुर | childrens is also learning swimming tricks | Patrika News

बांसवाड़ा : मोक्षधाम के एनिकेट में डुबकी लगाने को मजबूर, नौनिहाल भी सीख रहे तैराकी के गुर

locationबांसवाड़ाPublished: Jun 12, 2018 12:10:51 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

तरणताल और प्रशिक्षक नहीं होने से दब रही प्रतिभाएं

banswara

बांसवाड़ा : मोक्षधाम के एनिकेट में डुबकी लगाने को मजबूर, नौनिहाल भी सीख रहे तैराकी के गुर

बांसवाड़ा. वैसे तो तैराकी के लिए अब बहुत कम स्थान रह गए हैं, लेकिन जहां भी मौका मिलता है, छोटे-बड़े सभी तैराकी का शौक पूरा करने की इच्छा जरूर पूरी करने को लालायित रहते हैं। गर्मी के दिन हो तो उनका यह जुनून हद को भी पार कर जाता है। इन दिनों तरणताल से लेकर पोखर तक नन्हे-मुन्नों को भी पानी में तैराकी के दो-दो हाथ करते हुए देखा जा सकता है। कहीं यह प्रशिक्षित हाथों प्रशिक्षित हो रहे हैं तो कहीं पिता या परिजन उनको प्रशिक्षित कर रहे हैं। पूरे साल तैराकी सिखने की व्यवस्था नहीं होने से यह प्रतिभाएं जिले से बाहर अपने हुनर का लोहा नहीं मनवा पा रहे हैं।
Video : वागड़ के इन छोरों का हुनर बेमिसाल, गहरे पानी में घंटो तक दिखाते कमाल

छपाक-छई से गूंज उठता है आसमां
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों पोखर और तालाब पर सुबह से ही तैराकी करने वाले एवं सीखने वालों का तांता लग जाता है। मोक्षधाम के पास बने एनिकट में रोजाना करीब 150 से 200 बच्चे पानी में खेलने कूदने के साथ-साथ तैराकी के गुर सीखने पहुंच रहे हैं। कुछ बचाव के लिए ट्यूब का उपयोग करते हैं तो कुछ परिचित के सहयोग से छपाक-छई कर पानी में गौते लगा रहे हैं। अभिभावक श्रीराम कॉलोनी के परेश गुप्ता एवं रातीतलाई के राजा शर्मा ने बताया कि दो-तीन साल से वह नियमित रूप से हर ग्रीष्मावकाश में बच्चे को यहां लाते हैं एवं वह दो साल में अच्छा तैराक बन गया है। करीब 250 से भी अधिक बच्चों ने यहां तैराकी सीखी है। कुछ निजी शिक्षण संस्थाओं में भी ग्रीष्मावकाश के दौरान स्वीमिंग सिखाई जाती है। मोक्षधाम विकास समिति अध्यक्ष सुनील दोसी ने बताया कि सैकड़ों बच्चों हर साल तैराकी के लिए यहां आते हैं, जिला प्रशासन यहां अच्छी सुविधाएं दे तो वह भी अच्चे तैराक बन सकते हैं।
इन्होंने सीखी तैराकी
ग्रीष्मावकाश के दौरान कुछ नया सीखने की ललक में तैराकी सीखने का मन किया तो कागदी पिकअप वियर स्थित मोक्षधाम एनिकट में गत दो-तीन साल से जा रहे हैं। अभिभावकों की देखरेख में तैराकी सीख ली है, लेकिन आगे यहां अच्छी सुविधाएं नहीं होने से शौक को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इसके लिए सभी सुविधायुक्त तरणताल होना चाहिए।
अच्छे तैराक तैयार हो सकते हैं
प्रारम्भिक अवस्था में तो मोक्षधाम पर स्थित एनीकट में तैराकी सीखी है, लेकिन हुनरमंद बनने के लिए अच्छा स्थान चाहिए। जहां पर प्रशिक्षित ट्रेनर के माध्यम से बच्चों को आधुनिक सुविधाओं युक्त तरणताल मिले तो वह भी तैराकी का जलवा दिखा सकते हैं।
नहीं है आधुनिक सुविधाएं
नन्हे-मुन्ने तैराकी के गुर तो सीख रहे हैं, लेकिन उच्च प्रशिक्षण की सुविधा नहीं होने से शौक को व्यावसायिक रूप नहीं दे पा रहे हैं। बच्चों ने बताया कि यदि बाल्यावस्था में ही तैराकी का प्रशिक्षण स्थानीय स्तर पर मिलने लगे तो कई होनहार बच्चे न केवल राज्य वरन राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभा का लोहा मनवा सकता है।
तैराक मिलाए ताल से ताल बने तरणताल
घाटोल. वागड़ के गांव-ढाणियों में नदी तालाबों में तैराकी का हुनर दिखाने वाले तैराकों की प्रतिभा निखारने की मांग को लेकर घाटोल विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण आगे आए हैं। जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने जिला स्तर पर तरणताल व तैराकी के प्रशिक्षण की व्यवस्था की मांग की है। सोमवार को परिषद सदस्य महावीर पुरी राठौड़, जिला परिषद सदस्य उदयलाल, नानजी खराड़ी, रतनलाल गौतमलाल, पीयूष, कैलाश सहित ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार डायालाल डामोर को दिए ज्ञापन में जिला स्तर पर तैराकी की स्पर्धा के आयोजन एवं जिला मुख्यालय पर तरणताल की सुविधा की मांग की। उन्होंने बताया कि वागड़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन सुविधा के अभाव में प्रतिभा नहीं दिखा पा रहे। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने वागड़ के गांव-गांव ढाणी-ढाणी में माइकल फेल्प्स और कंचनमाला शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर वागड़ में तैराकी की संभावनाओं को उठाया था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो