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बांसवाड़ा : सामान्य संस्थाओं को भू उपयोग परिवर्तन में नहीं मिलेगी छूट, भवन निर्माण अनुज्ञा शुल्क भी करना होगा अदा

locationबांसवाड़ाPublished: Jan 21, 2020 11:46:22 am

बांसवाड़ा. प्रदेश में सामान्य चैरिटेबल ट्रस्टों और सामान्य शैक्षणिक संस्थाओं को भू उपयोग परिवर्तन में नगर निकाय से छूट नहीं मिलेगी। इन संस्थाओं को किसी भी प्रकार के भवन का निर्माण करने पर अनुज्ञा शुल्क भी देना होगा। किसी भी प्रकार की छूट देने से पहले निकाय को संबंधित संस्था की पात्रता की जांच भी करनी होगी।

बांसवाड़ा : सामान्य संस्थाओं को भू उपयोग परिवर्तन में नहीं मिलेगी छूट, भवन निर्माण अनुज्ञा शुल्क भी करना होगा अदा

बांसवाड़ा : सामान्य संस्थाओं को भू उपयोग परिवर्तन में नहीं मिलेगी छूट, भवन निर्माण अनुज्ञा शुल्क भी करना होगा अदा

दरअसल, प्रदेश में सहकारी पंजीयन विभाग से पंजीकृत संस्थाएं विशेष रूप से नगर निकाय क्षेत्रों में ट्रस्ट और संस्था के नाम पर भू उपयोग परिवर्तन और भूमि पर निर्माण के लिए छूट के आवेदन कर रही हैं, जिससे निकायों को आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है, नियमों की पालना भी नहीं हो रही है। इसे लेकर स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों के आयुक्त व अधिशासी अधिकारियों को भू उपयोग परिवर्तन और निर्माण अनुज्ञा में शुल्क की छूट चाहने वाली संस्थाओं की पात्रता की जांच करने को कहा है। इन्हें मिली है छूटनगरीय विकास विभाग की जुलाई 2019 की अधिसूचना में सामाजिक व धार्मिक क्षेत्रों में अग्रणी और अलाभकारी संस्थाओं, चैरिटेबल ट्रस्ट को जनहित से जुड़े संस्थानों के संचालन को लेकर निर्देश दिए थे। इसमें संस्थाओं की ओर से चिकित्सालय, वृद्धाश्रम, अनाथालय, नारी निकेतन, शैक्षणिक संस्था, कुष्ठ आश्रम, धर्मशाला, निशक्तजन केंद्र, नशामुक्ति केंद्र, कन्या आश्रम, बालगृह के विकास को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से कृषि से अकृषि प्रयोजनार्थ नियमन के लिए निर्धारित प्रीमियम दर, भू उपयोग परिवर्तन और भवन निर्माण अनुज्ञा में शुल्क की छूट दी है। लाभ के लिए निकाली गलीकतिपय संस्थाओं की ओर से चैरिटेबल ट्रस्ट व संस्था का संचालन करने का प्रमाण प्रस्तुत करते हुए शत-प्रतिशत छूट की मांग की जा रही है। जबकि सामान्य संस्थाओं को छूट का प्रावधान ही नहीं है। चूंकि छूट के प्रस्ताव प्राप्त होने पर निदेशालय को भेजे जाते हैं, एेसे में निदेशक की ओर से अधिसूचना के अनुसार ही पात्र संस्थाओं को छूट देने को कहा है, ताकि जनहित कार्यों को लेकर संचालन संस्थाओं को ही लाभ मिल सके।
बोली नहीं हो अस्वीकार

इधर, नगर निकायों को कमजोर आर्थिक स्थिति से उबारने के लिए भूखंडों की नीलामी प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी। इसके लिए न्यूनतम नीलामी दर को कम करने, अत्यधिक रखी गई आरक्षित दर को पुन: निर्धारित करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। साथ ही नीलामी दर से अधिक बोली प्राप्त होने पर भी बोली को स्वीकार नहीं करने की स्थितियां सामने आने पर अब इसे निरस्त नहीं किया जा सकेगा। अपेक्षित दर प्राप्त नहीं होने पर बोली को रद्द करने के आदेश भी आयुक्त या अधिशासी अधिकारी जारी नहीं कर सकेंगे। इसे लेकर नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने आदेश दिए हैं। आदेशों के अनुसार नीलामी प्रक्रिया में निकाय की ओर से निर्धारित की गई बोली राशि से अधिक राशि प्राप्त होने पर बोली अस्वीकार नहीं की जा सकेगी।
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