scriptबांसवाड़ा : कागदी पिकअप वियर के लिए जमीन अवाप्ति मामले में 36 साल बाद पूर्व राजघराने का रेफरेंस आवेदन खारिज | Court rejects the reference to the former Royal family of Banswara | Patrika News

बांसवाड़ा : कागदी पिकअप वियर के लिए जमीन अवाप्ति मामले में 36 साल बाद पूर्व राजघराने का रेफरेंस आवेदन खारिज

locationबांसवाड़ाPublished: Aug 21, 2019 01:48:41 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

Kagdi Pick Up Banswara : अपर जिला न्यायाधीश बांसवाड़ा का आदेश

बांसवाड़ा : कागदी पिकअप वियर के लिए जमीन अवाप्ति मामले में 36 साल बाद पूर्व राजघराने का रेफरेंस आवेदन खारिज

बांसवाड़ा : कागदी पिकअप वियर के लिए जमीन अवाप्ति मामले में 36 साल बाद पूर्व राजघराने का रेफरेंस आवेदन खारिज

बांसवाड़ा. अपर जिला न्यायालय के पीठासीन अधिकारी कुलदीप सूत्रकार ने अपने एक आदेश में कागदी पिकअप वियर निर्माण के लिए अवाप्त जमीन की अवार्ड राशि कम प्राप्त होने को आधार बताकर बांसवाड़ा पूर्व राजघराने परिवार की ओर से प्रस्तुत किए गए रेफरेंस आवेदन को साढ़े तीन दशक बाद अस्वीकार करते हुए खारिज कर दिया है। पूर्व राजघराना परिवार के प्रार्थियों ने भूमि अवाप्ति अधिकारी माही परियोजना बांसवाड़ा की ओर से 30 दिसंबर 1978 को दो लाख 68 हजार 425 तथा 12 अप्रेल 1983 को 38168 रुपए जारी किए अवार्ड के संबंध में ये रेफरेंस आवेदन पेश किए थे।
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कागदी निर्माण के लिए 102 बीघा जमीन अवाप्त की थी
पूर्व राजघराने के चन्द्रवीर सिंह की खातेदारी कृषिभूमि में से सार्वजनिक प्रयोजन अर्थात कागदी पिकअप वियर निर्माण में डूब से प्रभावित भूमि की अवाप्ति की थी। इसकी अधिसूचना 14 जुलाई 1977 को प्रकाशित हुई। इसके अनुसरण में भूमि अवाप्ति अधिकारी माही परियोजना बांसवाड़ा ने 24 जुलाई 1978 को विज्ञप्ति संख्या कागदी/104 के द्वारा उक्त अधिनियम की धारा 8 के तहत कुल 102 बीघा 04 बिस्वा तथा इसमें स्थित कुएं, वृक्ष, कल्पवृक्ष सहित अन्य के नाम के संबंध में चन्द्रवीर सिंह से 21 अगस्त 1978 तक अवाप्ति आमंत्रित की। इस पर चन्द्रवीर सिंह ने उपस्थित होकर अपने बयान लेखबद्ध कराए। इसके बाद 30 दिसंबर 1978 को कुल दो लाख 68 हजार 425 का अवार्ड जारी कर दिया गया, जिसका भुगतान दो जनवरी 1979 को हुआ। बाद में आराजी नंबर 2302, 2378में उक्त आराजी में मूल्यांकन कर 12 अप्रेल 1983 को कुल 38168 का दूसरा अवार्ड जारी किया गया। इस संबंध में संबंधित विभाग का यह कहना था कि बार-बार नोटिस देने के बावजूद उपस्थित नहीं होने पर एकतरफा अवार्ड जारी किया गया।
1983 में दर्ज हुई आपत्ति
23 मई 1983 को पूर्व राजघराने के चन्द्रवीर सिंह ने आपत्ति दर्ज कराई और प्रकरण को रेफरेंस किए जाने का निवेदन किया। भूमि अवाप्ति अधिकारी ने पत्रावलियों को न्यायालय में पे्रषित किया। इसके बाद आठ अगस्त 1983 को प्रकरण संख्या कागदी/104 स्टेट बनाम चन्द्रवीर की पत्रावली रेफरेंस के लिए जिला एवं सेशन न्यायालय बांसवाड़ा के समक्ष पेश हुई, जिसे विविध दीवानी प्रकरण 44/1983 दर्ज रजिस्टर किया गया।
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राजघराने की ओर से ये रखा पक्ष
माही परिजयोजना के तहत कागदी के डूब क्षेत्र में बाईतालाब बगीचा की करीब 105 बीघा 6 बिस्वा भूमि अवाप्त की गई। उक्त भूमि कृषि रेवेन्यू रेकॉर्ड में दर्ज होने से कृषि भूमि मानकार भूमि व फलदार वृक्षों का मुआवजा आंशिक रूप से तय करते हुए दिसंबर 1978 को 2,68,425 मुआवजा दिया गया। जबकि उक्त भूमि मे कुएं, नालियां, सडक़ आदि का मुआवजा उस समय नहीं देकर बाद में देने का आदेश दिया। 12 अप्रेल 1983 को भूमि अवाप्ति अधिकारी की ओर से पुलिया, कुएं, सडक़, मकान नालियां आदि का मुआवजा 38,168 रुपए कायम कर एवार्ड एक तरफा जारी किया गया। प्रकरण में प्रथम प्रार्थी पूर्व राजघराने के चन्द्रवीर सिंह पुत्र पृथ्वीसिंह थे, लेकिन इनके देहांत के बाद सूर्यवीर सिंह पुत्र चन्द्रवीर सिंह रहे। वर्तमान में नीरा कुमारी बेवा सूर्यवीर सिंह तथा इनके बेटे जगमाल सिंह पुत्र सूर्यवीर सिंह प्रार्थी हैं।

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