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राज्य में सरकारी पैरवी में मददगारों का संकट, 44 फीसदी मंत्रालयिक स्टाफ नहीं, बाबुओं से लेकर पानी पिलाने वाले तक नहीं

locationबांसवाड़ाPublished: Dec 11, 2019 10:12:18 am

Submitted by:

deendayal sharma

प्रदेशभर में निजी अदालतों में सरकार की तरफ से पैरवी करने वाले सहायक अभियोजन अधिकारियों को मददगार नहीं मिल रहे। हालात यह है कि इनके दफ्तरों में आधे से ज्यादा स्टाफ के पद खाली है और फाइलें तैयार करने में मदद तो दूर, पानी पिलाने वाला तक मयस्सर नहीं है।

राज्य में सरकारी पैरवी में मददगारों का संकट, 44 फीसदी मंत्रालयिक स्टाफ नहीं, बाबुओं से लेकर पानी पिलाने वाले तक नहीं

राज्य में सरकारी पैरवी में मददगारों का संकट, 44 फीसदी मंत्रालयिक स्टाफ नहीं, बाबुओं से लेकर पानी पिलाने वाले तक नहीं

बांसवाड़ा. प्रदेशभर में निजी अदालतों में सरकार की तरफ से पैरवी करने वाले सहायक अभियोजन अधिकारियों को मददगार नहीं मिल रहे। हालात यह है कि इनके दफ्तरों में आधे से ज्यादा स्टाफ के पद खाली है और फाइलें तैयार करने में मदद तो दूर, पानी पिलाने वाला तक मयस्सर नहीं है।हालांकि यह संतोष की बात है कि अभियोजन विभाग में स्टेट एंड सर्बोडिनेट सर्विस के निदेशक से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक कुल 851 पदों में से राजस्थान में 145 यानी 17 फीसदी पद ही खाली हैं, लेकिन इससे नीचे मंत्रालयिक स्टाफ की कमी से अभियोजकों को पैरवी की तैयारी में परेशानियां आ रही हैं ।विभागीय सूत्रों के अनुसार मौजूदा हालात में मंत्रालयिक कर्मचारियों के 2616 पदों के मुकाबले 1175 पद खाली हैं और 1296 कर्मचारी ही काम चला रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाना सहज है कि जब 44.91 फीसदी स्टाफ ही नहीं है, तो अभियोजकों के दफ्तर किस हाल में चल रहे हैं। कई एपीपी दफ्तरों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक नहीं मंत्रालयिक कर्मचारियों में भी सबसे ज्यादा रिक्त पद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की है। विभाग में 698 पदों के मुकाबबले 522 फोर्थ क्लास यानी करीब 75 फीसदी पद खाली होने से कई दफ्तरों में फाइलें इधर-उधर देने व अन्य उनसे जुड़ा काम भी प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा एपीपी के सहायक भी बहुत कम हैं। वरिष्ठ-कनिष्ठ सहायकों की बात करें तो कुल 826 पदों में से 542 पद खाली हैं। इससे 65 फीसदी एपीपी बगैर सहायक के दफ्तरों का काम अकेले ही निबटा रहे हैं।बांसवाड़ा में तो एपीपी भी कमबांसवाड़ा जिले की निचली अदालतों में स्टाफ के अलावा सरकारी पैरवी के लिए सहायक अभियोजन अधिकारियों का भी संकट है। कारण कि यहां मुख्यालय समेत जिले की 12 के लिए 7 वकील ही हैं। जिले में कुल 12 अधीनस्थ न्यायालय हैं, जिनमें कुशलगढ़, गढ़ी, बागीदौरा और घाटोल कोर्ट में एक-एक एपीपी नियुक्त हैं, लेकिन जिला मुख्यालय की चार अदालतों सीजेएम, एसीजेएम, जेएम और एजेएम कोर्ट में दो महिला सहायक लोक अभियोजक ही हैं। यहां पिछले माह तक तीन एपीपी थे, जिसमें से एक सेवानिवृत्त हो गए। उसके बाद अब दो एपीपी ही चार अदालतों का कामकाज देख रहे हैं। फिलहाल रिजर्व एपीपी की मदद से काम चल रहा है। उधर, तलवाड़ा और गढ़ी के ग्राम न्यायालय भी है, जिनका जिम्मा भी इन्हीं सहायक लोक अभियोजकों पर है। ऐसे में कोर्ट में पैरवी और उसकी तैयारी के लिए पूरा वक्त दे पाना सहायक लोक अभियोजकों के लिए मुश्किल हो रहा है। इनका कहना है….अभियोजन विभाग, राजस्थान के निदेशक एसएन व्यास का कहना है कि विभाग से मंत्रालयिक कर्मचारियों के रिक्त पदों को लेकर डिमांड की हुई है। आरपीएससी भर्ती परीक्षा के परिणाम जारी हो चुके हैं। वेरिफिकेशन की प्रक्रिया के बाद लिपिक उपलब्ध होंगे। जहां एपीपी नहीं है या कम है, उसकी जल्द ही व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।
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