हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से कर्ज माफ की सौगात देकर किसानों को राहत देने की घोषणाएं हुई थी। जिससे किसानों को उम्मीद जगी थी कि वे आर्थिक तंगी से उभर सकेंगे।लेकिन पाले ने फिर किसानों पर कहर ढा दिया। अब किसान पाले से हुए नुकसान का मुआवजा दिलाने के लिए गिरदावरी रिपोर्ट व सर्वे की सरकार से मांग करने लगे हैं।
19 ग्राम पंचायतों के 102 गांव प्रभावित
दो दिन चली शीतलहर से यूं तो कई खेतों में नुकसान हुआ है, पर विशेषकर नुकसान छोटी सरवन छोटी सरवन पंचायत समिति क्षेत्र की 19 ग्राम पंचायत के 102 गांव अधिक प्रभावित हुए हंै। खेतों में खड़ी फसलें पाले की चपेट में
आ गई।
अरमानों पर पानी फिरा
किसानों का कहना है कि दरअसल आर्थिक तंगी के चलते जेवरात तक गिरवी रखकर कपास आदि की खेती की। अब फसल पकने की तैयारी पर आई तो शीतलहर व पाले ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। कई किसानों की फसल नष्ट होने के कगार पर आ गई।
झेल रहे दोहरी मार
जिले में ऐसा क्षेत्र भी है, जहां उन्हें माही बांध के जल का लाभ नहीं मिल रहा है। इसमें विशेषकर छोटी सरवन पंचायत समिति क्षेत्र को ही देख लें, इन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। संभाग का सबसे बड़े माही बजाज सागर में अथाह जल होने के बाद भी यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है। किसानों ने पड़ोसियों के कुएं से किराए से पानी लेकर फसलों की सिंचाई करनी पड़ रही है।
चौपट हो गई फसल
घोड़ी तेजपुर निवासी जयंतीलाल राणा ने बताया कि किराए से पास के पड़ोसी से पानी लेकर फसल की थी। फसल भी अच्छी पक गई। कपास भी लगने लग गया, पर दो दिनों से ठंड ने सारी फसल को चौपट कर दिया। 40 से 50 हजार का कपास होने जैसा लग रहा था, लेकिन ठंडी हवा ने दो ही दिन में फसल पीली कर दिया।
कराएंगे सर्वे
&फसलों मे पाले की शिकायत मिली है। कृषि वैज्ञानिकों की टीम से शीघ्र सर्वे करा नुकसान का पता लगाएंगे। भूरालाल पाटीदार, उप निदेशक कृषि विस्तार बांसवाड़ा।
19 ग्राम पंचायतों के 102 गांव प्रभावित
दो दिन चली शीतलहर से यूं तो कई खेतों में नुकसान हुआ है, पर विशेषकर नुकसान छोटी सरवन छोटी सरवन पंचायत समिति क्षेत्र की 19 ग्राम पंचायत के 102 गांव अधिक प्रभावित हुए हंै। खेतों में खड़ी फसलें पाले की चपेट में
आ गई।
अरमानों पर पानी फिरा
किसानों का कहना है कि दरअसल आर्थिक तंगी के चलते जेवरात तक गिरवी रखकर कपास आदि की खेती की। अब फसल पकने की तैयारी पर आई तो शीतलहर व पाले ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। कई किसानों की फसल नष्ट होने के कगार पर आ गई।
झेल रहे दोहरी मार
जिले में ऐसा क्षेत्र भी है, जहां उन्हें माही बांध के जल का लाभ नहीं मिल रहा है। इसमें विशेषकर छोटी सरवन पंचायत समिति क्षेत्र को ही देख लें, इन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। संभाग का सबसे बड़े माही बजाज सागर में अथाह जल होने के बाद भी यहां के किसानों को सिंचाई के लिए पानी नसीब नहीं हो रहा है। किसानों ने पड़ोसियों के कुएं से किराए से पानी लेकर फसलों की सिंचाई करनी पड़ रही है।
चौपट हो गई फसल
घोड़ी तेजपुर निवासी जयंतीलाल राणा ने बताया कि किराए से पास के पड़ोसी से पानी लेकर फसल की थी। फसल भी अच्छी पक गई। कपास भी लगने लग गया, पर दो दिनों से ठंड ने सारी फसल को चौपट कर दिया। 40 से 50 हजार का कपास होने जैसा लग रहा था, लेकिन ठंडी हवा ने दो ही दिन में फसल पीली कर दिया।
कराएंगे सर्वे
&फसलों मे पाले की शिकायत मिली है। कृषि वैज्ञानिकों की टीम से शीघ्र सर्वे करा नुकसान का पता लगाएंगे। भूरालाल पाटीदार, उप निदेशक कृषि विस्तार बांसवाड़ा।