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बांसवाड़ा : उपचार के नाम पर भोपे ने सरेराह लगा दिए बच्चे को डाम, 10 माह के मासूम की 15 दिन बाद मौत

locationबांसवाड़ाPublished: Jul 02, 2018 02:44:20 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

14 जून शाम को भोपे ने पैर, हाथ और गले पर लगाया था डाम, तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर उदयपुर किया था रैफर

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बांसवाड़ा : उपचार के नाम पर भोपे ने सरेराह लगा दिए बच्चे को डाम, 10 माह के मासूम की 15 दिन बाद मौत

बांसवाड़ा. ताण की बीमारी का उपचार करने के नाम पर गत 14 जून की शाम खरवाड़ा गांव के भोपे के डाम लगाने के बाद गंभीर रूप से बीमार हुए दस माह के मासूम की शनिवार देर रात उदयपुर के चिकित्सालय में मौत हो गई। वहीं आरोपी भोपा अब भी पुलिस की पकड़ से दूर है। जानकारी के अनुसार छोटी सरवन पंचायत समिति के निवासी नंदलाल पुत्र देवला का दस माह का पुत्र ताण की बीमारी से पीडि़त था। उसे गांव के ही एक भोपे ने हाथ, माथे और पैर पर डाम लगा दिए। तबीयत अधिक खराब होने पर उसे 14 जून की देर शाम को को महात्मा गांधी चिकित्सालय में भर्ती कराया। वहां से उसको उदयपुर के लिए रैफर किया था। पृथ्वीपुरा सरपंच रणधीर ने बताया कि नंदलाल के बच्चे की मौत उदयपुर में उपचार के दौरान हो गई है।
पुलिस की शिथिल कार्रवाई
राजस्थान पत्रिका में 15 जून का सचित्र समाचार का प्रकाशन होने के बाद दानपुर थाना पुलिस हरकत में आई। फौरी कार्रवाई कर पुलिस ने अन्य भोपे का पकड़ा, लेकिन जिस भोपे ने बच्चे को डाम लगाया, वो अब भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है। इसके बाद पुलिस ने न तो कार्रवाई की और न ही अन्य भोपों पर सख्ती बरती। इस कारण खुलेआम अभी भी डाम लगाकर बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। दानपुर थानाधिकारी सज्जनसिंह ने बताया कि भोपे को हिरासत में लेकर न्यायलय में पेश कर दिया था, लेकिन वो यह स्पष्ट नहीं कर सके कि उक्त भोपे ने ही नंदलाल के बच्चे को डाम लगाया था।
चिकित्सा विभाग मौन
भोपों पर कार्रवाई या समझाइश को लेकर चिकित्सा विभाग ने ठोस कदम नहीं उठाए। ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य देने का दंभ भरने वाले विभाग की ओर से भोपों और नीम-हकीमों पर ठोस कार्रवाई अमली जामा नहीं पहन सकी है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओपी कुलदीप टीम बनाकर प्रशासन और चिकित्सा विभाग की सम्मलित कार्रवाई का हवाला देकर पल्ला झाड़ते नजर आए।
चार माह में पांच मामले फिर भी सब मौन
बांसवाड़ा. छोटी सरवन क्षेत्र के गांव खरवाड़ा का दस वर्ष का मासूम डाम के बाद काल कवलित हो गया, लेकिन हालात अब भी चिंताजनक है। बीते चार माह में जिले में बीमारी के उपचार के नाम पर पांच मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने मौन साध रखा है। इस वर्ष 15 फरवरी से लेकर 15 जून के बीच मासूमों को डाम लगाने के पांच मामले सामने आने के बाद भी योजनाओं के दंभ पर गरीबों का भला करने का दावा करने वाली सरकार और सरकारी लवाजमा ग्रामीण अंचल में इस कुरीति पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी से पूरे जिले में डाम लगाना बदस्तूर जारी है। यह पांचों मामले तो वो है, जो सभी के सामने आए। ऐसे न जाने कितने मासूम और होंगे, जो अंधविश्वास के फेर में गर्म सलाखों से दागे जा रहे होंगे।
कार्रवाई के लिए पाबंद करुंगी
बाल आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने कहा कि बांसवाड़ा में इस प्रकार की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। इसे लेकर जिला प्रशासन को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। इस मामले में कार्रवाई करने के लिए प्रशासन को पाबंद करुंगी।
ये मामले आए सामने
1. परतापुर के लोहरियापाड़ा गांव में 15 फरवरी को एक 10 माह के माता-पिता ने बच्चे को ताण की समस्या से निजात पाने के लिए डाम दिलवाया। जबकि बच्चे के माता-पिता निरक्षर नहीं थे।
2. गनोड़ा क्षेत्र में एक साल के बच्चे के बुखार आने पर दादी एवं अन्य परिजनों ने बच्चे को पेट में तीन जगह डाम लगवाया। तबीयत नहीं सुधरने पर चिकित्सालय लाए, जहां से उसे उदयपुर भेज दिया गया।
3. बोड़ीगामा के हमीरपुरा गांव में एक 15 माह के बच्चे को पेट पर डाम दिया गया। तबीयत बिगडऩे पर अस्पताल लेकर पहुंचे।
4. बागीदौरा इलाके में एक बच्चे की तबियत बिगडऩे पर उसको नानी और घर के एक अन्य बुजुर्ग ने अगरबत्ती से बच्चे के माथे पर दाग दिया। तबियत बिगडऩे पर अस्पताल लेकर पहुंचे।
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