सीएमएचओ डॉ एचएल ताबियार बताते हैं कि दिनचर्या, रहन-सहन और खानपान में बदलाव के कारण बांसवाड़ा में मधुमेह के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है और इन मरीजों में 60 से 70 फीसदी मरीज शहरी क्षेत्र के हैं। शहरी क्षेत्र में शुगर के बढ़ते प्रकोप के पीछे सिर्फ एक ही कारण है वो है शहरवासियों का बदलती लाइफ स्टाइल। वर्ष 2016-17 में 6 हजार नए मरीज डायबिटीज का सबसे अधिक प्रकोप वर्ष 2016-17 में देखने को मिला। सरकारी आंकड़ों की मानें तो उस वित्तीय वर्ष में 5983 नए मरीज मधुमेह से पीडि़त सामने आए।
जानकारों की मानें तो ग्रामीण अभी भी डायबिटीज सरीखी घातक बीमारी से बचे हुए हैं। इसमें उनकी दिनचर्या और खानपान मददगार बने हुए हैं। शारीरिक श्रम करने और तनावरहित जीवनशैली ही उनके बचाव का कारण है। ऐसे बढ़ रहा मधुमेह वर्ष नए मरीजों की संख्या 2019-20 – 1039 2018-19 – 2562 2017-18 – 2783 2016-17 – 5983 (चिकित्सा विभाग से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर) डायबिटीज के लक्षण बहुत प्यास लगना, बहुत भूख लगना, रात में बार-बार पेशाब आना, बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस करना, अचानक वजन का कम होना, अचानक शरीर पर घाव बनना और इसे ठीक होने में समय लगना, त्वचा में रूखापन और खुजली, जननांगों में खुजली, धुंधला दिखाई देना, ज्यादा खाना खाने के बाद भी रोगी का भार कम होना।
– अनुवांशिकता
– खान पान और मोटापा
– ज्यादा शारीरिक श्रम न करना
– मानसिक तनाव और डिप्रेशन
– गर्भावस्था में ज्यादा दवाइयों का सेवन
– ज्यादा चाय, दूध, कोल्ड ड्रिंक्स और चीनी वाले खाने के सेवन
– धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन
– हेल्दी खाएं
– शारीरिक मेहनत करें
– वजन कंट्रोल में रखें
– सुबह का टहलना
– कसरत
– नियमित रूप से डॉक्टर से जांच इनसे बचें
– बिगड़ी दिनचर्या अत्यधिक आरामदायक जीवनशैली
– जंक फूड
– तनाव असंयमित और असमय खानपान
जैसा कि डॉ निलेश परमार ने बताया