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बांसवाड़ा : पेयजल के लिए 350 साल पहले बनाई थी बावड़ी, लोगों का विश्वास- इसके चमत्कारिक पानी से दूर होती हैं कई बीमारियां

locationबांसवाड़ाPublished: Sep 10, 2018 12:24:18 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

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बांसवाड़ा : पेयजल के लिए 350 साल पहले बनाई थी बावड़ी, लोगों का विश्वास- इसके चमत्कारिक पानी से दूर होती हैं कई बीमारियां

बांसवाड़ा. ठीकरिया. यूं तो दवा से ही मर्ज का इलाज होता है, लेकिन कुछ जलस्त्रातों के पानी की तासिर ऐसी होती है कि प्यास बुझाने के साथ दवा के रूप में भी उसकी पहचान बन जाती है। नवागांव की बावड़ी का पानी ऐसा ही है। पीने के काम आने के साथ लोग का यह भरोसा बना हुआ है कि इस पानी को पीने से कुछ बीमारियों मे फायदा मिलता है, हालांकि फ्लिटर प्लांट और आरओ के युग में अब उसकी यह पहचान धुंधला जरूर गई है।
खूब थी पानी की आवक
गांव के 90 वर्षीय चुन्नीलाल पण्ड्या बताते हैं कि बचनप से ही उन्होंने बावड़ी के पानी का बीमारी के उपचार के लिए इस्तेमाल होते देखा है। बावड़ी कितनी पुरानी है इसकी सटीक जानकारी तो नहीं पर यह ठीकरिया बावड़ी के बाद बनी थी। तो यह तकरीबन साढ़े तीन से चार सौ साल पुरानी है। बावड़ी के बारे में कहा जाता है कि इसमें पानी की आवक ज्यादा होने के कारण पूर्व में कपड़े डालकर पानी का रिसाव कम किया गया था। ताकि पानी की बर्बादी न हो। इस बावड़ी का पानी मीठा माना और पाचन शक्ति बढ़ाने में सहायक माना जाता रहा है।
इन मर्जों का होता था उपचार
75 वर्षीय सेवानिवृत्त अध्यापक इच्छाशंकर पण्ड्या का कहना है कि इस बावड़ी के पानी को पीकर लोग पेट, हाथ, पैर दर्द, बुखार आदि से छुटकारा पाते थे। सिर्फ गांव के लोग ही उपचार के लिए नहीं आते थे बल्कि दूरदराज से लोग आकर यहां पानी पीते थे। दो-तीन बार लगातार इसका पानी पीने से लोगों की बीमारियां दूर हो जाती थीं। लेकिन अब लोग इसका महत्व नहीं समझते हैं।
हजारों लोगों की बुझा रही प्यास
ग्रामीण मंणिशंकर पंचाल बताते हैं कि यह गांव की एकमात्र बावड़ी है जिससे पूरे गांव में पानी की सप्लाई होती है। गांव की आबादी तकरीबन 4 हजार की है और पूरे गांव में सिर्फ इस बावड़ी से ही पानी की आपूर्ति होती है। कितनी भी गर्मी पड़े इस बावड़ी का पानी कभी नहीं सूखा।
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