scriptबांसवाड़ा : राजनेताओं और अधिकारियों से मिन्नतों के बाद भी अन्नदाता परेशान, न उपज का पूरा दाम न पानी का इंतजाम | Distressed farmers by seepage and water scarcity | Patrika News

बांसवाड़ा : राजनेताओं और अधिकारियों से मिन्नतों के बाद भी अन्नदाता परेशान, न उपज का पूरा दाम न पानी का इंतजाम

locationबांसवाड़ाPublished: Jun 06, 2018 12:04:45 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

एक तरफ सीपेज से बर्बाद हजारों हैक्टेयर खेत, दूसरी ओर असिंचित इलाकों में पानी का इंतजार

banswara

बांसवाड़ा : राजनेताओं और अधिकारियों से मिन्नतों के बाद भी अन्नदाता परेशान, न उपज का पूरा दाम न पानी का इंतजाम

चेतन द्विवेदी.बांसवाड़ा. अपार जल संपदा के धनी बांसवाड़ा में माही की नहरों से बढ़ते सीपेज को रोकने की मांग हो या असिंचित क्षेत्र को सिंचित करने का मसला अथवा पूरे साल होने वाली मक् का के वाजिब मूल्य सहित ढेरों मांगों के लिए किसान लगातार राजनेताओं से लेकर अधिकारियों तक का दरवाजा खटखटा रहे हंै, लेकिन दशकों बाद भी उन्हें कहीं से कोई राहत नहीं मिली है। इससे किसानों में रोष है। किसान संगठनों के अनुसार किसान समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न बिक्री के लिए परेशान होता रहा है। कभी समय पर खरीद केन्द्र शुरू नहीं होते तो कभी केन्द्र शुरू हो जाते हैं तो भुगतान की समस्या और फिर ढेरों गड़बडिय़ां। इनके अलावा किसानों की ढेरों समस्याएं हैं, जिन्हें गौर करने की न प्रशासन को कभी फुर्सत मिली है और न सरकार को।
50.70 प्रतिशत भू-भाग में कृषि उत्पादन
जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के करीब 50.70 प्रतिशत भू-भाग में कृषि उत्पादन का कार्य किया जाता है। इस पर कुल जनसंख्या की करीब 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि एवं कृषि से संबंधी व्यवसायों से अपना आजीविका चलाती है। वहीं जिले की कुल जोंतों की संख्या का करीब 87 प्रतिशत दो हैक्टेयर से छोटी जोत है। जोतों के आकार छोटा एवं बिखरा होने के कारण कृषि तकनीकी ग्राह्यता में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाई है।
भूमिपुत्र की ये हैं मांगें
माही की नहरों का सुद्ढ़ीकरण व सिंचाई से वंचित कृषि भूमि को हाई लेवल केनालों द्वारा सिंचाई की व्यवस्था की जाए। साथ ही जालौर को माही का पानी दिए जाने के मामले पर तत्काल रोक लगाई जाए।
कृषि जींसों का लाभकारी मूल्य दिया जाए।
रासायनिक खाद आपूर्ति के लिए रेक रतलाम स्टेशन पर लगाई जाए।
खरीद केन्द्रों का संचालन निर्धारित तिथि पर अन्य कृषि जीसों का भी होना चाहिए।
खरीदी पर स्वामीनाथन की रिपोर्ट अनुसार लागत का 50 प्रतिशत जोडकऱ समर्थन मूल्य जारी किया जाए।
कृषि कनेक्श प्राथमिकता के आधार पर दिए जाएं।
खरीफ व रबी की फसलों में फसल बीमा योजना में ग्राम आधार मान कर बीमा किया जाए।
टै्रक्टर चलित सभी नए कृषि उपकरणों पर व मिनी टै्रक्टर व बैल चलित सभी उपकरणों पर अनुदान दियाजाए।
नरेगा को कृषि योजना से जोड़ा जाए।
रबी मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीदी होनी चाहिए साथ इसके दाम बढ़ाने चाहिए।
करीब डेढ़ हजार गांवों में छह हजार मीटर ही तारबंदी का लक्ष्य रखा है। इसको अभी बढ़ाने की जरूरत है।
868 औसत वर्षा
230006 हैक्टेयर बुवाई का क्षेत्र
104818 हैक्टेयर औसत सिंचित क्षेत्र
125188 हैक्टेयर औसत असिंचित क्षेत्र

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो