जिले के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के करीब 50.70 प्रतिशत भू-भाग में कृषि उत्पादन का कार्य किया जाता है। इस पर कुल जनसंख्या की करीब 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि एवं कृषि से संबंधी व्यवसायों से अपना आजीविका चलाती है। वहीं जिले की कुल जोंतों की संख्या का करीब 87 प्रतिशत दो हैक्टेयर से छोटी जोत है। जोतों के आकार छोटा एवं बिखरा होने के कारण कृषि तकनीकी ग्राह्यता में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाई है।
माही की नहरों का सुद्ढ़ीकरण व सिंचाई से वंचित कृषि भूमि को हाई लेवल केनालों द्वारा सिंचाई की व्यवस्था की जाए। साथ ही जालौर को माही का पानी दिए जाने के मामले पर तत्काल रोक लगाई जाए।
कृषि जींसों का लाभकारी मूल्य दिया जाए।
रासायनिक खाद आपूर्ति के लिए रेक रतलाम स्टेशन पर लगाई जाए।
खरीद केन्द्रों का संचालन निर्धारित तिथि पर अन्य कृषि जीसों का भी होना चाहिए।
खरीदी पर स्वामीनाथन की रिपोर्ट अनुसार लागत का 50 प्रतिशत जोडकऱ समर्थन मूल्य जारी किया जाए।
कृषि कनेक्श प्राथमिकता के आधार पर दिए जाएं।
खरीफ व रबी की फसलों में फसल बीमा योजना में ग्राम आधार मान कर बीमा किया जाए।
टै्रक्टर चलित सभी नए कृषि उपकरणों पर व मिनी टै्रक्टर व बैल चलित सभी उपकरणों पर अनुदान दियाजाए।
नरेगा को कृषि योजना से जोड़ा जाए।
रबी मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीदी होनी चाहिए साथ इसके दाम बढ़ाने चाहिए।
करीब डेढ़ हजार गांवों में छह हजार मीटर ही तारबंदी का लक्ष्य रखा है। इसको अभी बढ़ाने की जरूरत है।
230006 हैक्टेयर बुवाई का क्षेत्र
104818 हैक्टेयर औसत सिंचित क्षेत्र
125188 हैक्टेयर औसत असिंचित क्षेत्र