लाखों की गडबड़ी
फर्म के एक प्रतिनिधि ने बताया कि उसने राज्य में अन्य स्थानों पर भी काम किया है। सूबे में 9 हजार से अधिक ग्राम पंचायतें हंै। बांसवाड़ा जिले में 346 ग्राम पंचायतें है, जिनमें लाखों बीपीएल चयनित परिवार हैं। प्रति बीपीएल परिवार 185 रुपए की दर से हिसाब किया जाए तो करोड़ों का भुगतान व लाखों का कमीशन बांटकर सरकारी कोष को चपत लगाई जा रही हैं।
फर्म के एक प्रतिनिधि ने बताया कि उसने राज्य में अन्य स्थानों पर भी काम किया है। सूबे में 9 हजार से अधिक ग्राम पंचायतें हंै। बांसवाड़ा जिले में 346 ग्राम पंचायतें है, जिनमें लाखों बीपीएल चयनित परिवार हैं। प्रति बीपीएल परिवार 185 रुपए की दर से हिसाब किया जाए तो करोड़ों का भुगतान व लाखों का कमीशन बांटकर सरकारी कोष को चपत लगाई जा रही हैं।
एक आदेश के आधार पर हो रहा खेल
इस काम के लिए परियोजना निदेशक एवं पदेन उप सचिव के आदेश क्रमांक 4/2008 पार्ट 4 के 2 दिसंबर 2016 के एक आदेश के हवाला देकर खेल हो रहा है। गढ़ी पंचायत समिति में 2018 में विकास अधिकारी ने इसी आदेश का हवाला देकर ग्राम पंचायतों के सचिवों को आदेश जारी किया है, जिसमें बीपीएल सेंसस में चयनित परिवारों के नाम का अंकन 1.5 गुणा 2.5 गुणा फीट व चयन क्रमांक चयनित परिवारों के निवास स्थान पर पीले रंग का पुतवाकर लिखवाने के निर्देश दिए हैं। इस गोलमोल आदेश में न तो स्पष्ट रूप से फर्म का उल्लेख है और न ही प्रति आवास पर खर्च की जाने वाली राशि की जानकारी दी गई है। ऐसे में फर्म ही अपने स्तर पर दर तय कर सरकार को चपत लगा रही हैं।
इस काम के लिए परियोजना निदेशक एवं पदेन उप सचिव के आदेश क्रमांक 4/2008 पार्ट 4 के 2 दिसंबर 2016 के एक आदेश के हवाला देकर खेल हो रहा है। गढ़ी पंचायत समिति में 2018 में विकास अधिकारी ने इसी आदेश का हवाला देकर ग्राम पंचायतों के सचिवों को आदेश जारी किया है, जिसमें बीपीएल सेंसस में चयनित परिवारों के नाम का अंकन 1.5 गुणा 2.5 गुणा फीट व चयन क्रमांक चयनित परिवारों के निवास स्थान पर पीले रंग का पुतवाकर लिखवाने के निर्देश दिए हैं। इस गोलमोल आदेश में न तो स्पष्ट रूप से फर्म का उल्लेख है और न ही प्रति आवास पर खर्च की जाने वाली राशि की जानकारी दी गई है। ऐसे में फर्म ही अपने स्तर पर दर तय कर सरकार को चपत लगा रही हैं।
तीन कोटेशन, 185 रुपए की दर
सूत्रों के अनुसार नागौर की फर्म ही ग्राम पंचायतों से पट्टिका पुतवाने के लिए साठगांठ कर रही है। फर्म औपचारिकता के तौर पर तीन कोटेशन देती है, जिनमें बीपीएल नामांकन के लिए 185, 195 एवं 200 रुपए की दर अंकित की जाती है। इन्हीं में से सबसे कम दर 185 बताकर प्लेट लगाने का खेल शुरू हो जाता है। जिन ग्राम पंचायतों का ठेका इस फर्म को मिलता है, उसे 3 कोटेशन, 1 बिल एवं 1 आदेश की प्रति उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही भुगतान के वक्त फर्म ग्राम पंचायत को 15 फीसदी कमीशन देती हैं। बताया जाता है कि इन प्लेट की लिखाई की वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक वसूली हो रही हैं।
सूत्रों के अनुसार नागौर की फर्म ही ग्राम पंचायतों से पट्टिका पुतवाने के लिए साठगांठ कर रही है। फर्म औपचारिकता के तौर पर तीन कोटेशन देती है, जिनमें बीपीएल नामांकन के लिए 185, 195 एवं 200 रुपए की दर अंकित की जाती है। इन्हीं में से सबसे कम दर 185 बताकर प्लेट लगाने का खेल शुरू हो जाता है। जिन ग्राम पंचायतों का ठेका इस फर्म को मिलता है, उसे 3 कोटेशन, 1 बिल एवं 1 आदेश की प्रति उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही भुगतान के वक्त फर्म ग्राम पंचायत को 15 फीसदी कमीशन देती हैं। बताया जाता है कि इन प्लेट की लिखाई की वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक वसूली हो रही हैं।
काम कैसे हो रहा है पता नहीं
पंचायतों में किस आधार पर ये काम हो रहा है। इसकी उन्हें भी कोई जानकारी नहीं है।
सीएल बुनकर, अधिशासी अभियंता, जिला परिषद बांसवाड़ा भुगतान पंचायतों से कराया
हमने काम करने के आदेश दिए थे, लेकिन इस काम के टेण्डर नहीं किए। पंचायतों से ही कहा था कि वे फर्म से काम कराकर इसका भुगतान कर दें।
राजेश वर्मा, बीडीओ गढ़ी
पंचायतों में किस आधार पर ये काम हो रहा है। इसकी उन्हें भी कोई जानकारी नहीं है।
सीएल बुनकर, अधिशासी अभियंता, जिला परिषद बांसवाड़ा भुगतान पंचायतों से कराया
हमने काम करने के आदेश दिए थे, लेकिन इस काम के टेण्डर नहीं किए। पंचायतों से ही कहा था कि वे फर्म से काम कराकर इसका भुगतान कर दें।
राजेश वर्मा, बीडीओ गढ़ी