नवीन पटेल/छोटी सरवा. ग्राम पंचायत शोभावटी में योजना में छोटे-बड़े कार्यों पर लाखों की राशि खर्च की गई है, लेकिन छोटी-छोटी एमपीटी के निर्माण में गुणवत्ता को दरकिनार किया गया । कुछ तो टूट भी गई है। काली मिट्टी का उपयोग भी निर्माण में किया जाना था, लेकिन इस पर भी किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया गया। ग्राम पंचायत में एक स्थल पर चार एमपीटी बनाई गई है, लेकिन इनमें से एक में भी पानी नहीं हैं।
नियमानुसार अभियान में जल संरचनाओं के निकट रतनजोत, घास व अन्य प्रजाति के पौधरोपण कर अगले 5 वर्षों तक उनके संरक्षण के भी प्रावधान थे, लेकिन वन विभाग के कुछ एमपीटी को छोड़ दें तो अधिकांश एमपीटी के आसपास कहीं भी पौधरोपण दिखाई नहीं दिया। इसके अलावा कुछ जगह पर पत्थरों से पीचिंग की आवश्यकता नहीं होने पर पर ये कार्य कर दिया गया।
पंकज लुणावत/कुशलगढ़. योजना के प्रथम, द्वितीय व तृतीय चरण में क्षेत्र में करोड़ों रुपए खर्च कर बावडिय़ों, तालाबों आदि के मरम्मत कार्य व बड़ी संख्या में एमपीटी (मिनी परकोलेशन टैंक) बनाए थे। वर्तमान में अधिकांश एमपीटी खाली पड़े हैं, जिससे योजना के कार्यों की उपयोगिता और गुणवत्ता की पोल खुल रही है। योजना में भू संरक्षण, पंचायतीराज, कृषि, उद्यान, वन,जलदाय, जलसंसाधन एवं भूजल ग्रहण आदि 9 विभागों को इन जलसंरचनाओं के निर्माण का कार्य सौपा था। क्षेत्र के रामगढ़, घरतारा, सुलीयामालपाडा, सरवन आदि गांवों में बने एमपीटी व जल संरचनाओं के निर्माण में भी भिन्नता नजर आई। एक तरफ वन क्षेत्र के नालों पर बने एमपीटी तो पानी से लबालब है, लेकिन दूसरी ओर इन्ही नालों पर पंचायतीराज व अन्य विभागों द्वारा बने एमपीटी बिल्कुल खाली पड़े हुए है। निर्माण के लिए स्थल चयन सवालों के घेरे में हैं।
विधानसभा में 23 जुलाई को कुशलगढ़ की निर्दलीय विधायक रमिला खडिय़ा ने मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि पिछली सरकार की इस योजना में उनके विधानसभा क्षेत्र में एनिकट, छोटे-छोटे तालाब बने, उसकी आज जांच करा लो। योजना में मशीनों से काम हुआ। वहीं से मिट्टी लेकर वहीं पर भरपाई कर दी। घटिया काम किया गया। आज वहां पानी तक नही हैं।