विभागीय सूत्रों की मानें तो ई -मित्र संचालकों और बिचौलियों ने श्रमिकों से ठगी का अनूठा तरीका अपनाया गया है। बांसवाड़ा के कार्यवाहक सहायक श्रम आयुक्त विपिन चौधरी ने बतायाकि ई-मित्र संचालक को ज्ञात होता है कि विभाग की किसी भी योजना के तहत आवेदन करने वाले श्रमिक के आवेदन का स्टेटस क्या है यानी कि आवेदन स्वीकृत हो चुका है या बाकी है। पोर्टल में स्वीकृति की जानकारी करने के बाद बिचौलिये और कुछ ई-मित्र संचालक श्रमिकों को फोन कर पैसा दिलाने की बात कर उनसे 5 से 10 फीसदी या कभी कभी उससे ज्यादा की रकम की डिमांड करते हैं। पैसों को लेकर श्रमिक भी ठगों की बातों में आ जाता है और उन्हें तय परसेंट का भुगतान करने की बात कहता है। जबकि विभाग नियमानुसार स्वीकृत आवेदन पर स्वत: ही श्रमिकों का भुगतान करता है।
लेबर इंस्पेक्टर कुलदीप शक्तावत ने बताया कि श्रम विभाग में पंजीयन कराने के लिए 85 रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है। इसके बाद पंजीयन को रिन्यूवल कराने के लिए 12 रुपए प्रति वर्ष की दर से विभाग शुल्क लेता है। यदि कोई श्रमिक ई-मित्र में पंजीयन या पंजीयन का रिन्यूवल कराता है तो सरकार की निर्धारित दर के हिसाब से ही उसे ई-मित्र पर सेवाशुल्क भुगतान करना है।
नियोजक प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश
श्रम निरीक्षक शक्तावत ने बताया कि विभाग की ओर से ठेकेदारों नियोजकों को उनके अधीन निर्माण कार्य करने वाले श्रमिकों के नियोजक प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही विभाग ने निर्देशित किया है कि फर्जी या अवैध प्रमाण पत्र जारी करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। श्रमिकों को लाभांवित करने के उद्देश्य से 8 योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इसमें छात्रवृत्ति योजना, प्रसूती योजना, शुभ शक्ति योजना, मृत्यु सहायता योजना मुख्य हैं।