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बांसवाड़ा : छोटी सी उम्र में मंजू ने पेश की मिसाल, बन गई पर्यावरण और परिवार की पालनहार

locationबांसवाड़ाPublished: Jun 05, 2018 04:26:48 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

हर साल 5 जून को लगाती है फलदार पौधे

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बांसवाड़ा : छोटी सी उम्र में मंजू ने पेश की मिसाल, बन गई पर्यावरण और परिवार की पालनहार

बांसवाड़ा : पर्यावरण संरक्षण का जुनून और परिवार पालने की मजबूरी, तीन साल की मेहनत से मंजू बनी पर्यावरण प्रहरी

किशन सेन. बांसवाड़ा. छोटी सरवन. पर्यावरण से प्रेम और आजीविका का जरिया। जिले के घोड़ी तेजपुर क्षेत्र के पीपली पाड़ा गांव की किसान बालिका पर्यावरण दिवस को कुछ अनूठे तरीके से मनाती है। वह हर साल पांच जून को फलदार पौधे लगाती है, जिससे पर्यावरण को संरक्षण भी मिलता है और इससे होने वाली आय से परिवार का पालन-पोषण भी होता है। मंजू ने महज तीन साल में ही खेत में पूरा बगीचा खड़ा कर दिया है। मंजू के इस जोश और जुनून ने उसे पर्यावरण प्रहरी बना दिया है। साथ ही मंजू अन्य लोगों को भी पेड़- पौधे उगाने का संदेश देती है।
पिता के दर्द को समझा और उठाया बीड़ा
किसान बालिका मंजू के पिता गोपाल ने वर्ष 2012 में अपनी बीवी के गहने 30 हजार में गिरवी रखकर पपीते की खेती प्रारम्भ की थी, लेकिन उस साल तेज बरसात के चलते सारे पेड़ जमीन पर गिर कर नष्ट हो गए। उस समय मंजू 10 वीं में पढ़ रही थी। उसने पिता की कमजोर आर्थिक हालत को देखकर पाई-पाई जोड़ी एवं 2015 में 5 जून को पर्यावरण दिवस के दिन उसने 2000 हजार रुपए में आम की विभिन्न किस्मों के 100 पेड़ बगीचे में लगाए। इसके बाद यह क्रम शुरू हो गया एवं वह हर साल 5 जून को किसी न किसी फल के पौधे लगाती है। स्कूल की छुट्टी के बाद मंजू बागवानी में घण्टों देख-रेख करती है। गत साल आम के पेड़ से एक क्विंटल आम की फ सल हुई थी, वहीं इस साल करीब 3 क्विंटल आम की फसल हुई है जिससे उसका उत्साह और अधिक बढ़ गया है। मंजू ने आम के साथ-साथ अनार और नींबूू के पौधे भी लगाए हैं। जिससे प्राप्त आय से वह परिवार का पालन- पोषण भी करती है और अपने बगीचे पर भी व्यय करती है।
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