गेहूं से भर गया ट्रक
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार शनिवार को जिस ट्रक को लेकर विवाद हुआ था उस समय उसमेंं करीब 250 कट्टे थे, लेकिन सोमवार वह पूरा भरा हुआ था। इसके अलावा शनिवार को गोदाम की सील भी तहसीलदार, पटवारी तथा किसानों के जाने के बाद अकेले में करवाई गई। सोमवार को भी किसी को भीतर जाने नहीं दिया गया। इसके अलावा उदयपुर से आए अधिकारियों ने ठेकेदार ललित कलाल को यह फटकार भी लगाई कि जब उसे पता है कि कट्टे में 50 किलो वजन होता है तो कट्टों को तुलवाने की कहां जरूरत पड़ गई। इसके अलावा केन्द्र पर वीडियोग्राफी की भी सुविधा नहीं कर रखी थी। इससे पूरा मामला संदेह के घेरे में है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार शनिवार को जिस ट्रक को लेकर विवाद हुआ था उस समय उसमेंं करीब 250 कट्टे थे, लेकिन सोमवार वह पूरा भरा हुआ था। इसके अलावा शनिवार को गोदाम की सील भी तहसीलदार, पटवारी तथा किसानों के जाने के बाद अकेले में करवाई गई। सोमवार को भी किसी को भीतर जाने नहीं दिया गया। इसके अलावा उदयपुर से आए अधिकारियों ने ठेकेदार ललित कलाल को यह फटकार भी लगाई कि जब उसे पता है कि कट्टे में 50 किलो वजन होता है तो कट्टों को तुलवाने की कहां जरूरत पड़ गई। इसके अलावा केन्द्र पर वीडियोग्राफी की भी सुविधा नहीं कर रखी थी। इससे पूरा मामला संदेह के घेरे में है।
फोटो खींचने से रोका
एफसीआई बांसवाड़ा डिपो के मैनेजर बनवारी लाल मीणा ने गोदाम के फोटो तक नहीं खींचने दिए। वहीं जब एफसीआई जांच दल के संपत्त लाल जाट, देवेन्द्र चौधरी, कमलेश मीणा एवं बनवारी लाल मीणा से इस संबंध में जानकारी लेने के प्रयास किए तो उन्होंने उच्चाधिकारियों का हवाला देकर पूरे मामले से किनारा कर लिया।
एफसीआई बांसवाड़ा डिपो के मैनेजर बनवारी लाल मीणा ने गोदाम के फोटो तक नहीं खींचने दिए। वहीं जब एफसीआई जांच दल के संपत्त लाल जाट, देवेन्द्र चौधरी, कमलेश मीणा एवं बनवारी लाल मीणा से इस संबंध में जानकारी लेने के प्रयास किए तो उन्होंने उच्चाधिकारियों का हवाला देकर पूरे मामले से किनारा कर लिया।
किसानों ने कहा निरीक्षक ने मांगा कमीशन
इस दौरान किसानों ने उदयपुर से आए जांच दल के समक्ष कहा कि गुणवत्ता निरीक्षक प्रति क्विंटल पर सौ रुपए का कमीशन मांग रहा था। इस जब अधिकारियों ने लिखकर देने की कहा तो किसानों ने नौकरी चली जाने की बात कहते हुए लिखित में शिकायत देने से इनकार कर दिया।
इस दौरान किसानों ने उदयपुर से आए जांच दल के समक्ष कहा कि गुणवत्ता निरीक्षक प्रति क्विंटल पर सौ रुपए का कमीशन मांग रहा था। इस जब अधिकारियों ने लिखकर देने की कहा तो किसानों ने नौकरी चली जाने की बात कहते हुए लिखित में शिकायत देने से इनकार कर दिया।