Fasal Bima Yojana Truth : फसल बीमा योजना के नियम व शर्तें क्या हैं? किसान हैं अंजान, जानें पूरा मामला
Fasal Bima Yojana Truth : फसल बीमा योजना क्या है? किसान इससे पूरी तरह से हैं अंजान। बीमा के नियम और शर्तों की जानकारी न होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। जानें पूरा मामला।
Fasal Bima Yojana Truth : फसल खराब होने पर किसानों को राहत देने के लिए शुरू की गई फसल बीमा की सुविधा तकलीफदेय हो गई है। बीमा क्लेम के मापदंड क्या हैं? क्या सावधानी बरतनी है? आदि बारीकियां किसानों लिए आज भी पहेली है। इस कारण ही फसल खराबे के बाद कई किसान क्लेम न मिलने पर दर-दर भटक रहे हैं। इसका खामियाजा निरक्षर और कम पढ़े लिखे किसानों को ज्यादा भुगतना पड़ता है। बीमा के नियम शर्तों की पेंचीदगियों से अंजान ये किसान अच्छे की आस में बीमा राशि देकर बीमा धारक तो बन जाते हैं, पर खराबे के बाद राहत नहीं मिल पाती। किसानों को संबल देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें भरसक प्रयास करती नजर आती हैं और बीमा राशि का 98 फीसदी दोनों सरकारों के द्वारा आधा-आधा दिया भी जाता है, किसानों को किश्त के रूप में बीमा राशि का महज 2 प्रतिशत ही भुगतान देना पड़ता है।
विभाग की अनदेखी से किसानों को हमेशा से ही नियम शर्तों में उलझकर नुकसान उठाना पड़ता है। हालांकि कृषि विभाग किसानों की जागरूकता का लगातार दावा करता आया है और इस वर्ष भी बीमा नियमों में बदलावों से अवगत कराने के लिए फसल बीमा पाठशाला लगाने की बात कही गई। इतना ही नहीं 20 जून से 18 जुलाई तक लगाई गई इन पाठशालाओं में 40 हजार किसानों के जुड़ने का विभाग दावा कर रहा है। विभाग के ये दावे जमीनी स्तर पर कितने प्रभावशाली हैं इसे जानने के लिए जब पत्रिका टीम ने जिले के कई किसानों से बात की तो कृषक इनकी बारीकियों से अंजान नजर आए। वहीं, किसान प्रतिनिधि भी किसानों को लाभ न मिलने और नियम शर्तों से अंजान होने की बात कह रहे हैं।
50 वर्षों से खेती कर रहे और मैट्रिक तक पढ़े बालावाड़ा के दीप सिंह बताते हैं कि किसानों को बीमा से जुड़ी कोई जानकारी नहीं रहती है। नियम शर्तें भी काफी उलझी हुई होती हैं। इन्हें स्पष्ट करने के भी प्रयास नहीं होते हैं। इसका खामियाजा किसान को भुगतना पड़ता है। इस बीमा में जनरल क्लेम ही दिया जाना है। व्यक्तिगत क्लेम का प्रावधान नियमों में नहीं रखा गया है।
ऋणी-अऋणी किसानों के लिए बीमा कराने के अलग तरीके
बता दें कि किसानों का बीमा दो प्रकार से होता है। पहला वेकिसान जिन्होंने ऋण ले रखा और दूसरे वे जिन्होंने फसली ऋण नहीं लिया है। ऋण लेने वालों को ‘लोनी फॉर्मर’ और लोन न लेने वालों को ‘नॉन लोनी फॉर्मर’ कहा जाता है। लोनी फॉर्मर का बीमा राशि सीधे खाते से काटी जाती है। कितनी होती है बीमा राशि ये भी नहीं पता किसानों ने बताया कि उन्हें सिर्फ यह पता होता है कि बीमा के लिए उनकी इतनी राशि काटी गई है। लेकिन किसी प्रकार काटी गई है, उसके मापदंड क्या है ? खेत की कुल कितनी राशि बनी इसकी कोई जानकारी उन्हें नहीं होती।
किसानों को पता ही नहीं फसल बदलने पर देनी होती है सूचना
किसान संघ प्रतिनिधि बताते हैं कि सीजन की फसल में बदलाव करने पर बीमा धारक किसानों को जानकारी देनी होती है, तभी नुकसान पर बीमा का लाभ मिलता है। लेकिन किसानों को यह बात पता न होने पर किसान फसल बुवाई में किए गए बदलाव की जानकारी नहीं देते और खराबा होने पर वे मुआवजे की शर्तों में नहीं आते। वे कहते हैं कि सिर्फ यही नहीं फसल कटाई प्रयोग से पूर्व भी किसानों को अवगत नहीं कराया जाता है।
कैंप लगाकर दी जानकारी – संयुक्त निदेशक
संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार, बांसवाड़ा दलीप सिंह ने बताया पूर्व में किसानों को बीमा लाभ को लेकर हो रही दिक्कतों को लेकर जिला प्रशासन के निर्देश पर इस बार पंचायत स्तर तक कैंप लगाकर जानकारी दी गई। इसमें सभी ऋणी किसानों और अन्य किसानों को भी जोड़ा गया। अन्य विभाग का भी सहयोग लिया गया। हमारी ओर से पूरे प्रयास किए गए हैं, ताकि किसानों को समस्या न आए।