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बड़ी खबर : विश्वविद्यालय दरकिनार, मंत्री जी कॉलेज पर मेहरबान, पहली बार प्रवेश परीक्षाओं की जिम्मेदारी राजकीय कॉलेज को सौंपी

locationबांसवाड़ाPublished: Feb 12, 2019 03:47:44 pm

Submitted by:

deendayal sharma

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बड़ी खबर : विश्वविद्यालय दरकिनार, मंत्री जी कॉलेज पर मेहरबान, पहली बार प्रवेश परीक्षाओं की जिम्मेदारी राजकीय कॉलेज को सौंपी

योगेश कुमार शर्मा. बांसवाड़ा. प्रदेश में पीटीइटी एवं बीए/बीएससी बीएड (4 वर्षीय इंटग्रेटेड) प्रवेश परीक्षाओं की जिम्मेदारी विश्वविद्यालयों को छोड़ पहली बार किसी राजकीय महाविद्यालय को सौंपी गई है। उच्च शिक्षा मंत्री व कोलायत विधायक भंवर सिंह भाटी के गृह जिले बीकानेर के राजकीय महाविद्यालय डंूगर को वर्ष 2019-20 में आयोजित इन परीक्षओं के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। अब तक यह परीक्षाएं विश्वविद्यालय आयोजित करता आया है, जिसमें करोडों़ रुपए की आय होती है। गत वर्ष इस परीक्षा का जिम्मा महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर पर था। ऐसे में कॉलेज को इस भारी-भरकम परीक्षा का जिम्मा सौंपना अचरज भरा निर्णय बताया जा रहा है। वहीं प्रदेश में एमएडए बीपीएड, एमपीएड एवं तीन वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएडए एमएड प्रवेश परीक्षा के लिए नोडल एजेंसी के रूप में जिम्मेदारी राजस्थान विष्वविद्यालय, जयपुर पर रहेगी। 21 जनवरी को बैठक में निर्णय के पश्चात संयुक्त सचिव, उच्च शिक्षा ने कॉलेज शिक्षा की वेबसाइट पर इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो दर्जन स्टेट यूनिवर्सिटी संचालित हैं। इसमें से कई विश्वविद्यालयों पर दो से तीन वर्ष अलग-अलग सत्रों में परीक्षा आयोजन का जिम्मा रहा है।
बचत का फिफ्टी- फिफ्टी
परीक्षा के तहत विद्यार्थियों से जो भी शुल्क आता है उसमें से प्रश्न पत्र निर्माण, तकनीकी कार्य, काउंसलिंग व एडमिशन इत्यादि पर खर्च के पश्चात जो राशि शेष रहती है उसका पचास प्रतिशत राज्य सरकार को तथा पचास प्रतिशत संबंधित नोडल एजेंसी के पास रहता है। प्रतिवर्ष यह राशि करोड़ों में रहती है।
नफा और नुकसान…
फ ायदा: कॉलेज को इस परीक्षा के आयोजन से मोटी आय होगी। कॉलेजों की आय बढऩे की इसे नई शुुरुआत बताया जा रहा है। इसके बाद अन्य कॉलेजों को भी अवसर मिलने की उम्मीद बंधी है।
नुकसान: कॉलेज प्राचार्य को अधिकतम 3 से 5 लाख रूपए खर्च करने का अधिकार है, जिसके लिए भी आयुक्तालय स्तर पर अनुमति जरूरी। ऐसे में कॉलेज को प्राप्त राशि सरकारी खाते में ही कैद रहने की आशंका। कॉलेज से कॉलेज समान स्तर पर आदेश-निर्देश में परेशानी हो सकती है। वहीं कॉलेज स्तर पर परीक्षा आयोजन के अनुभव का अभाव भी दिक्कतें कर सकता है।
गत वर्ष का रिपोर्ट कार्ड
बीएससी बीएड, बीएबीएड 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड में 63401 परीक्षार्थी पंजीकृत थे इसमें से 58 हजार 166 ने परीक्षा दी थी। इसी प्रकार दो वर्षीय बीए.बीएड में पंजीकृत 2 लाख 80 हजार 532 में से 2 लाख 62 हजार 532 ने परीक्षा दी थी। इसके लिए प्रदेश में कुल 859 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे। प्रति परीक्षार्थी 500 रुपए शुल्क लिया गया था। इधर, मामले को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी से संपर्क करने का प्रयास किया गया। कॉल उठाया भी गया लेकिन मंत्री जी व्यस्त हैं यह कहकर कॉल काट दिया गया।
राजनीति से प्रेरित निर्णय
एक कॉलेज विशेष को प्रदेश में सबसे बड़ी परीक्षा की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय राजनीतिक कारणों से प्रेरित है। विश्वविद्यालय ही यह परीक्षा करवाते आए हैं। परीक्षा आयोजन का पूरा सिस्टम होता है, जिसमें विश्वविद्यालय दक्ष होते हैं। वह नियमित रूप से परीक्षाएं कराते हैं।
किरण माहेश्वरी, विधायक राजसंमद (पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री)

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