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इंसानियत का पैगाम : भीषण गर्मी में बंदरों के लिए फरिश्ता बने चार दोस्त, सुबह-शाम रोटियां खिलाकर दे रहे जीवनदान

locationबांसवाड़ाPublished: Jun 19, 2018 02:52:40 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

कुशलगढ़ के युवक 6 वर्षों से सुबह-शाम जंगल में जाकर वानरों को खिलाते हैं रोटियां

banswara

इंसानियत का पैगाम : भीषण गर्मी में बंदरों के लिए फरिश्ता बने चार दोस्त, सुबह-शाम रोटियां खिलाकर दे रहे जीवनदान

पंकज लुणावत. कुशलगढ़. बांसवाड़ा. अपने लिए तो सभी जीते हैं और करते हैं, लेकिन औरों के लिए कुछ करने में जो सुकून मिलता है, उसका कोई सानी नहीं। फिर मूक पशु- पक्षी के लिए कुछ कर गुुजरें तो फिर इस सेवा का महत्व और भी बढ़ जाता है। कुशलगढ़ कस्बे के चार युवक अपने दम पर पिछले कुछ वर्षो से रोजाना सुबह शाम सैकड़ों बंदरों और मोर का पेट भरने का पुण्य कर रहे हैं। गर्मी के इस मौसम में जब वनों में चारों ओर सूखा है और शाकाहारी जानवरों के लिए खाने-पीने का संकट है तो ये युवा उनके मददगार बने हुए हैं।
हर रोज सुबह शाम जाते हैं घोड़ादर्रा वन
गत छह वर्षों से महेंद्र खाब्या, राजेश सुराणा, निखिल चंडालिया और चिन्टू सुबह-शाम 10 किलो आटे की रोटियां बनवाते हैं और घोड़ादर्रा वन क्षेत्र में जाकर वानरों को खिलाने जाते हैं। रोज इतनी रोटियां बनाने के लिए बकायदा व्यवस्था कर रखी है। इन चारों लोगों में कोई न कोई सुबह 8 बजे और शाम को 5 बजे बंदरों को रोटियां खिलाने के लिए आवश्यक रूप से जाता है और यह सिलसिला मार्च से लेकर बारिश आने तक चलता है।
ऐसे आया विचार
महेंद्र खाब्या ने बताया कि दरअसल इस वन क्षेत्र में बंदरों की संख्या काफी ज्यादा है। गर्मी के दिनों में यहां पानी और भोजन का संकट विकराल रूप धारण कर लेता है। कुछ वर्ष पूर्व यहां ग्रामीणों और प्रशासन की मदद से पानी के संकट को दूर करने के लिए कुंड बनवा दिया गया। इससे पानी की व्यवस्था तो हो गई, लेकिन भोजन का संकट खत्म नहीं हुआ। तब बंदरों की भूख मिटाने का यह जतन किया जो आज भी चल रहा है।
मोरों को भी खिलाते हैं दाना
क्षेत्र में मोरों को जीवनदान देने के लिए भी ये युवा प्रयत्नशील हैं। बंदरों के लिए लिए रोटियां ले जाने के साथ ही मोरों को दाना खिलाते हैं। इस जतन में इस वर्ष कुछ अन्य लोग भी इस पुनीत कार्य में सहयोग करने के लिए जुड़ गए हैं।
चारों युवा मिलकर उठाते हैं खर्च
बंदरों का पेट भरने के लिए 12 से 15 हजार का खर्च ये चारों युवा मिलकर उठाते हैं।

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