पीडि़त युवा ने बताया कि उसके एक मित्र ने कम्पनी के बारे में बताया। उसने एक मेल किया। इस पर कम्पनी की ओर से कॉल आया और पूरी जानकारी ली। तब कम्पनी की ओर से अनुबंध भेजा गया, जो अंग्रेजी में था। अंग्रेजी समझ में न आने के कारण उसने अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं किए। तब कम्पनी की ओर से कॉल आया और कहा गया कि आप अनुबंध को सिर्फ फॉरवर्ड कर दें। इस पर अनुबंध फारवर्ड कर दिया। बाद में वही अनुबंध वापस आया, जिसमें मेरे नाम से हस्ताक्षर थे, जो मैनें नहीं किए थे। साथ ही लॉगिन करने के लिए आईडी पासवर्ड भी आया। कुछ दिन बाद काम करने से जब मना कर दिया तो पहले कम्पनी की ओर से काम करने का दबाव डाला गया और बाद में कम्पनी की ओर से कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी गई। डर की वजह से यह बात किसी से साझा नहीं की, लेकिन इससे मानसिक रूप से परेशान हो गया हूं।
दूसरे पीडि़त युवक ने बताया कि उसने भी अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए। कुछ दिन काम करने के बाद जब काम छोड़ा तो व्हाट्स एप पर मैसेज आने शुरू हुए, जिसमें कानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई। बाद में कम्पनी की ओर से कॉल आए और 5200 रुपए मांगे। फिर उसी दिन कॉल आया, जिसमें एक लाख रुपए की मांग की गई और न देने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी गई। साथ ही कहा कि आपके द्वारा अनुबंध तोड़ा गया है। जबकि अनुबंध पर हस्ताक्षर उसने किए ही नहींं।
पड़ताल में सामने आया कि 12वीं पास या स्नातक पढ़ाई करने वाले युवा नौकरी और घर बैठे पैसे कमाने की चाह में कम्पनी की ओर आकर्षित हो जाते हैं। कम्पनी की ओर से भेजे गए दस्तावेज अंग्रेजी भाषा में होने के कारण साफ तौर पर समझ नहीं पाते। दस्तावेज को पढ़े बिना कम्पनी को स्वीकृति दे देते हैं।
किसी भी दस्तावेज को बिना पढ़े हामी न भरे न ही हस्ताक्षर करें। कम्पनियों के द्वारा भेजे गए अनुबंध के बारे में अन्य लोगों से चर्चा करें। बार-बार मना करने के बाद भी कम्पनी कार्य का दबाव डालती है तो कानूनी सहायता ली जा सकती है।
अजीत सिंह चौहान, अध्यक्ष बार एसोसिएशन, बांसवाड़ा