scriptगोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय का नया भवन बनाने की तय अविध निकली, अबतक सिर्फ ढांचे ही खड़े हो पाए | GGTU's new building could not be built yet in Banswara | Patrika News

गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय का नया भवन बनाने की तय अविध निकली, अबतक सिर्फ ढांचे ही खड़े हो पाए

locationबांसवाड़ाPublished: Dec 26, 2019 03:12:06 pm

Submitted by:

deendayal sharma

Govind Guru Tribal University Banswara : 2018 में शुरू हुआ था निर्माण कार्य लेकिन अबतक पूरा नहीं हो पाया

गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय का नया भवन बनाने की तय अविध निकली, अबतक सिर्फ ढांचे ही खड़े हो पाए

गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय का नया भवन बनाने की तय अविध निकली, अबतक सिर्फ ढांचे ही खड़े हो पाए


सुधीर भटनागर/ बांसवाड़ा. वागड़ में उच्च शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर गोविद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय का बड़वी में नया भवन आकार लेने लगा है लेकिन शहर से करीब सात किमी दूर बड़वी गांव में कुलपति सचिवालय सहित पांच भवनो के ढांच ही खड़े हो पाए हैं और निर्माण की वांछित गति नहीं बन बन पाने से चार भवनो की तय अवधि तो बीत भी चुकी है। ये काम आरएसआर डीसीएल के माध्यम से हो रहे हैं और जयपुर की जय बाबा कंस्ट्रक्शन कंपनी सिविल कार्य कर रही हैै। विश्व विद्यालय को आंवटित जमीन की चारदिवारी के भीतर अलग अलग हिस्सों में इस समय छह भवनों के निर्माण हो रहे हैं। इनमें कुलपति सचिवालय के अलावा परीक्षा नियंत्रण भवन, बॉयज और गल्र्स हॉस्टल, अपार्टमेंट़, अकादमिक भवन शामिल हैंं। गल्र्स हॉस्टल को छोड़़ कर सभी के ढांचे खड़े हो गए हैं। लेकिन बाकी काम का अभी अता पता नहीं है। बिजली, सेनेट्री सहित कई काम अभी नहीं हो पाए है। गल्र्स हॉस्टल का फाउंडेशन बनाने का काम हो रहा है। यह काम विलंब से शुरू होने के पीछे जमीन के ऊपर से गुजर रही 33 हजार केवी की बिजली लाइन की शिफ्टिंग में देरी बताई गई। निर्माण में देरी के पीछे अलग अलग कारण गिनाए गए। ठेकेदार कंपनी और आरएसआरडीसी का कहना है कि चार भवनों के एलिवेशन तय नहीं हो पाए हैंं और इस कारण निर्माण आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जबकि विवि का कहना है कि एलिवेशन की कोई समस्या नहीं है, यह केवल देरी के पीछे बहाने तलाशने की कोशिशें भर हैं ताकि पैनल्टी से बच सकें।
ठेकेदार कंपनी का यह तर्क : – ठेकदार कंपनी का तर्क है कि आरएसआरडी से एलिवेशन के टेण्डर में देरी के कारण काम प्रभावित हो रहा है। ढांचे खड़े हो गए हैं और एलिवेशन का निर्णय होते ही शेष काम भी तेज गति से पूरा करेंगे। एलिवेशन के अभाव में खिडक़ी दरवाजे का काम नहीं कर पा रहे, फ्लोरिंग का काम नहीं कर पा रहे। जिन दो भवनों के टेण्डर में एलिवेशन शामिल है तो उसमे अड़चन नहीं है। सिविल वर्क के अलावा बिजली आदि के काम हमारे जिम्मे नहीं है। इसके अलावा हो चुके काम की राशि भी बकाया है। हालांकि मुख्य बाधा एलिवेशन तय होने की है। सिविल वर्क करने में कोई परेशानी नहीं है। चार भवनों कुलपति और परीक्षा नियंत्रण भवन तथा अपार्टमेंट व अकादमिक भवनों के सामने प्रदर्शित बोर्ड के मुताबिक 17 अप्रेल 2018 को इन कार्यों की शुरुआत हुई और इन्हें 8 फरवरी 2019 तक पूर्ण कर लेने की तिथि दर्शायी हुई है, लेकिन अभी काफी लंबा समय लगने के आसार हैं। शेष दो कार्य की अवधि अभी बाकी है। लगातार देरी के बावजूद निर्माण एवं मॉनिटरिंग का जिम्मा जिनके पास है, वे भी लापरवाही बरत रहे है।
इनका कहना है… आरएसआरडीसी अभियंता जे.पी. सैनी का कहना है कि सही है निर्माण में देरी हुई है। चार काम में एलिवेशन के बारे में निर्णय नहीं हो पाया है। विवि की मंजूरी मिलने पर टेण्डर होंगे। अभी पंचायत चुनाव की आचार संहिता के कारण भी टेण्डर प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। ठेकेदार का भुगतान मुख्यालय से लिमिट दी जाती है और उसी के अनुसार भुगतान हो पाता है। मुख्यालय से लिमिट नहीं आती है तो भुगतान नहीं कर पाते हैं। इस कारण उसका बकाया है। इधर, जीजीटीयू के कुलपति कैलाश सोडानी ने कहा कि निर्माण कार्य कछुआ चाल चल रहा है। अब तक काफी काम हो जाना चाहिए था। धीमी गति को लेकर राज्यपाल का भी ध्यान आकृष्ट किया है। अभी कई काम बाकी है जबकि भवन फरवरी 2019 में हो ही बन जाने चाहिए थे।
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