इसलिए बाहर रहीं दवाएं
प्रदेश में इस समय 600 से अधिक दवाइयां, सूचर्स व इंजेक्टेबल दवाइयां निशुल्क की सूची में शामिल हैं। लेकिन पिछले पांच साल के दौरान दवाओं की संख्या नहीं बढ़ी। वहीं अलग अलग विभागों में नई दवाइयां व उपचार शुरू हो गए। ये दवाइयां मरीजों को बाजार से ही खरीदनी पड़ रही हैं।
सूची में ये दवाएं हो सकती हैं शामिल
सेलमेट्रोल एंड प्लूटिकासोन, टायोट्रोपियम, ग्लाइकोपाइरोनियम, सिफोरोइक्जाइन, सेप्टाजीडाइम, निमिसुलाइड, एबीफाइलिन, मिथाइलप्रेडनिसिलोन, फेक्सोफेनाडिन, पैगफिलग्रेस्टिम, टेडाल्पिफल, बोसेनटेन, परपिफनिडोन, इट्राकोनाजोल, माइको फिनोलेट सोडियम, लिकोरडिल, एप्राप्रोपियम, एसिकोपर्फाइलिन, ऐनेस्थाजोन, मेनोपेक्लोटोक्सिन, जोसीटौक्सिल, ऐेनेस्टीएलो, लिट्राजोल।
कैंसर थैरेपी भी हो सकती है निशुल्क
कुछ दवाइयों और थैरेपी की कीमत हजारों रुपए और एक लाख रुपए तक भी है। गुर्दा रोग में मल्टी बीमारियों का उपचार चलता है, जिनमे ब्लड प्रेशर, यूरोलोजी व अन्य बीमारियों की दवाइयां भी चलती हैं। इनमे कई दवाइयां पहले से निशुल्क हैं, लेकिन अब नई घोषणा से ट्रांसप्लांट के दौरान और उसके बाद चलने वाली सशुल्क श्रेणी की दवाइयों के भी निशुल्क होने की आस बढ़ गई है।
इनका कहना है….
राज. मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक सुरेशचंद गुप्ता का कहना है कि कैंसर, गुर्दा व श्वांस रोग सहित अन्य कुछ विभागों की 80 से 100 तरह की दवाइयां निशुल्क सूची में शामिल किए जाने की तैयारी कर रहे हैंं। पूरी संभावना है कि आचार संहिता हटने के बाद ये दवाएं सूची में शामिल होंगी। आगे भी निशुल्क दवा सूची में शामिल होने की प्रक्रिया जारी रहेगी।