संस्थाप्रधान माया सेमसन ने बताया कि प्रतिदिन एक घंटा श्रमदान कर सबसे पहले उबड़-खाबड़ परिसर का समतलीकरण किया गया। इसके बाद एक स्थान तय किया, जिसे संजीवनी वाटिका नाम दिया। इसमें विभिन्न प्रजातियों के पौधे, घास आदि लगाई। समतलीकरण के दौरान निकले पत्थरों को एक के ऊपर एक जमाकर झरने का रूप दिया और परिसर को प्राकृतिक स्वरूप प्रदान करते हुए प्रकृति व पर्यावरण के संरक्षण का संदेश दिया।
संस्थाप्रधान ने बताया कि परिसर में चांदनी एग्जोरा, कदम्ब, फ ाइकस गुलदाउदी, नोलिना, छुईमुई, गोल्डन साइप्रस, फ ाइकस, पलाश, जीरा, हेज, रियो, पुदीना, गुग्गल, आंवला, अश्वगंधा, अंगूर, अजवाइन, पत्थरचट्टा, सेवंती सहित करीब 100 से अधिक किस्म के पौधे लगाए हैं। नियमित रूप से इनकी सिंचाई भी की जा रही है।
विद्यालय में कुछ पद रिक्त हैं। वर्तमान में 210 का नामांकन है। यहां व्याख्याता के पांच, वरिष्ठ अध्यापक के दो, पुस्तकालय अध्यक्ष का एक, कनिष्ठ लिपिक का एक, प्रयोगशाला सहायक के दो सहित कुल 11 पद रिक्त हैं।