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बांसवाड़ा : बरसों पहले योग को बनाया सारथी, बीमारी का नामोनिशान नहीं और 87 की उम्र में भी युवाओं सी तन्दुरुस्ती

locationबांसवाड़ाPublished: Jun 18, 2019 03:20:42 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

योग बच्चों में आदत के तौर पर डालना सबसे अच्छा विकल्प

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बांसवाड़ा : बरसों पहले योग को बनाया सारथी, बीमारी का नामोनिशान नहीं और 87 की उम्र में भी युवाओं सी तन्दुरुस्ती

बांसवाड़ा. आज के आधुनिक युग में बिगड़ी जीवनशैली और खानपान के कारण उम्र का कांटा 60 पर पहुंचे न पहुंचे लेकिन तमाम बीमारियां मजबूती से दामन थाम लेती हैं और अंतिम सांस तक पीछा नहीं छोड़ती। उम्र के इस पड़ाव में चुनिंदा चीजें ही शरीर को दुरुस्त रख सकती हैं। इसे बरसों पहले ही समझ चुके थे जगदीश चंद्र मेहता। शायद इस कारण ही 87 वर्ष के होने के बाद भी उनमें बीमारी का नामोनिशान नहीं है और चुस्ती फुर्ती भी जवानों सरीखी। मेहता उनकी तन्दुरुस्ती का श्रेय योग और जीवनशैली को देते हैं।
दशकों से बाहर का खाना बंद
मेहता ने बताया कि शरीर को दुरुस्त रखने के लिए उन्होंने कुछ कदम भी उठाए और दशकों पहले बाहर का खाना छोड़ दिया। नियम को उन्होंने इस कदर अपनाया कि नातिन की शादी में भी उन्होंने भोजन ग्रहण नहीं किया और आज भी वो दिन में सिर्फ दो बार ही खाते हैं।
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सभी अपनाएं
मेहता का मानना है कि योग सभी के लिए आवश्यक है। इसे सीख नियमित तौर पर करना चाहिए ताकि शरीर का दुरूस्त किया जा सके। उनका मानना है कि इसे बच्चों में आदत के तौर पर डालना सबसे अच्छा विकल्प है।
नियमित देते हैं योग को समय
बकौल मेहता वो प्रारंभ से ही योग के महत्व को समझ चुके थे। इसलिए ही उन्होंने नौकरी के साथ ही योग की बारीकियों को सीख जीवनशैली में शामिल कर लिया। फिर चाहे वो घर पर रहें या कहीं बाहर रोजाना योग अवश्य करते हैं, जिसका लाभ उन्हें निरोगी के रूप में मिला।
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