महात्मा गांधी अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार लगातार तेज गर्मी में रहने पर इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित हो जाता है, जिससे सोडियम, पोटेशियम व नमक की कमी हो जाती है। इससे हृदय की गति कम होने लगती है और हार्ट फेलियर के मरीजों में पानी की मात्रा कम होने पर खतरा बढ़ जाता है। यह उन मरीजों के लिए खतरनाक है जिनमें उच्च रक्चाप की शिकायत रहती है।
गर्मी का असर लगातार बढऩे से यहां महात्मा गांधी अस्पताल सहित जिले भर के स्वास्थ्य केंद्रों पर इन दिनों लू से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ी है। अधिकांश मरीज डायरिया, उल्टी, दस्त आदि के शिकार हो रहे हैं।
मस्तिष्क में हाइपोथेलेमस भाग होता है जो शरीर के तापमान को 96 से 98.6 फॉरेनहाइट के बीच नियंत्रित करता है। अधिक गर्मी में हाइपोथेलेमस एबनॉर्मल कार्य करने लगता है, जिससे शरीर का तापमान बढऩे लगता है। इसे ही चिकित्सकीय भाषा में लू लगना कहते हैं।
थोड़ी-थोड़ी देर में पानी और अन्य तरह पदार्थ लेते रहें।
हृदयरोगी तेज गर्मी में बाहर नहीं निकलें।
घबराहट होने पर चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें।
समय-समय पर बीपी की जांच करवाते रहें।
घर में बना हुआ ताजा और हल्का भोजन लें।
तेलीय और वसायुक्त, मसालेदार और गरिष्ठ भोजन से परहेज करें।
बाजार में खुले में बिकने वाली चाट-पकौड़ी का सेवन न करें।
तेजी धूप और गर्मी से आते ही ठंडा पानी न पिएं और कूलर-एसी की हवा में सीधे न जाएं।
बासी भोजन का सेवन न करें, हमेशा ताजा भोजन ही करें।
जैसे-जैसे तापमापी का पारा40-42 डिग्री के ऊपर जाता है वैसे ही तापघात का खतरा बढऩे लगता है। गर्मी से बचाव नहीं करने की स्थिति शरीर में अत्यधिक पानी की कमी हो जाती है। इससे शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इससे चक्कर आना और बेहोशी की स्थिति बन जाती है। अधिक समय तक बिना बचाव के तेज धूप में रहना किसी जान लेवा खतरे से कम नहीं।
यह मौसम हृदयरोगियों के लिए परेशान करने वाला है। साथ ही लू का भी काफी खतरा रहता है। बेहतर है यदि दोपहर में बाहर निकलने से बचा जाए। इस दौरान काफी संख्या में लू के मरीज आते हैं।
डॉ. निलेश परमार, फिजिशियन, आजाद चौक डिस्पेंसरी, बांसवाड़ा